इसके अलावा पुराने चापाकलों की मरम्मत, पुराने सामुदायिक नल-जल प्रणाली का रखरखाव, नये चापाकल व सामुदायिक नल-जल प्रणाली का निर्माण, सोख्ता गड्ढों के निर्माण से संबंधित निर्माण योजनाएं बनायी जा सकती हैं. जिला पंचायती राज पदाधिकारी शिव शंकर प्रसाद, मनरेगा के नोडल पदाधिकारी पंकज कुमार दूबे, जिला योजना पदाधिकारी पीबीएन सिंह समेत कई अधिकारी, बीडीओ एवं प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी मौजूद थे.
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जिला प्रशासन: जन-भागीदारी से तैयार हों योजनाएं
बोकारो: आम लोगों की जरूरतों के अनुरूप योजना तभी बन सकती है, जब योजनाओं का प्रारूप जन-भागीदारी से तैयार हो. सोमवार को सभा कक्ष में डीआरडीए के ‘योजना बनाओ अभियान’ संबंधी कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त राय महिमापत रे ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में […]
बोकारो: आम लोगों की जरूरतों के अनुरूप योजना तभी बन सकती है, जब योजनाओं का प्रारूप जन-भागीदारी से तैयार हो. सोमवार को सभा कक्ष में डीआरडीए के ‘योजना बनाओ अभियान’ संबंधी कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त राय महिमापत रे ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में मनरेगा के लिए योजनाओं के निर्माण में ग्रामीण सहभागिता को मूर्त करने के लिए ही जन जागरूकता अभियान की शुरू किया जा रहा है.
कार्यरूप देने की प्राथमिकता : कहा : योजना बनाओ अभियान 2015-16 के लिए आयोजित कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य इसे धरातल तक पहुंचाना है. डीसी ने कहा : अब ग्रामीण जनता अपनी ग्राम पंचायत के माध्यम से अपने जीवन से जुड़ी आजीविका तथा अन्य बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय स्तर पर योजना बनाकर उसे कार्यरूप भी देंगे. खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के मुख्यस्रोत खेती, वन उपज, पशुपालन, अकुशल मजदूरी, वर्षा जल संग्रहण, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, स्कूल भवन, चापाकल की वर्तमान स्थिति का आकलन कर उन्हें सुदृढ़ करना नितांत जरूरी है. उपायुक्त ने आम जनता को इस अभियान से जुड़कर ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्था को और मजबूत करने पर भी जोर दिया.
जनोपयोगी योजनाओं की प्राथमिकता : उप विकास आयुक्त अरविंद कुमार ने कहा : आजीविका विकास के मद्देनजर मनरेगा के तहत कृषि विकास के लिए ट्रेंच, गली प्लानिंग, लूज बोल्डर स्ट्रक्चर, फलदार पौधरोपण, भूमि समतलीकरण, मेढ़बंदी, डोभा, पोखर, तालाब, कुआं, चुआं, वर्मी कंपोस्ट टैंक, नाडेप टैंक, अजोला टैंक, पशुपालन के लिए बकरी शेड, मुर्गी शेड, गाय के लिए पक्का फर्श व मूत्र टैंक, वन उपज के अंतर्गत जलावन के लिए पौधरोपण, तसर व लाह के लिए वृक्षारोपण से संबंधित योजनाओं को बढ़ाने की जरूरत है.
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