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कंपीटीशन के बाजार ने छीना करार
बोकारो : कंपीटीशन किस कदर हमारी जिंदगी पर हावी हो चुका है, इसका एक नमूना है चास बाजार. बुधवार को पहले यहां साप्ताहिक बंदी होती थी, लेकिन इन दिनों शहर का मिज़ाज कुछ बदला-बदला है. सुबह आठ नौ-बजे से ही वही शोर-गुल और धूल-धक्कड़ वाली जिंदगी शुरू हो जाती है. स्थिति यह है कि एक […]
बोकारो : कंपीटीशन किस कदर हमारी जिंदगी पर हावी हो चुका है, इसका एक नमूना है चास बाजार. बुधवार को पहले यहां साप्ताहिक बंदी होती थी, लेकिन इन दिनों शहर का मिज़ाज कुछ बदला-बदला है. सुबह आठ नौ-बजे से ही वही शोर-गुल और धूल-धक्कड़ वाली जिंदगी शुरू हो जाती है.
स्थिति यह है कि एक दिन का आराम हर व्यवसायी चाहता है, लेकिन उसकी मजबूरी यह होती है कि उसके सामने वाला व्यवसायी बुधवार को भी सुबह-सुबह आकर अपनी दुकान में जम जाता है. इसके बाद धीरे-धीरे पूरा चास गुलजार हो जाता है, लेकिन इन सबके बीच एक दिन का करार भी कहीं खो गया है. सबसे ज्यादा परेशानी इन प्रतिष्ठानों में काम करने वालेे कर्मियों को होती है, क्योंकि उनके बिना दुकान खोलना संभव नहीं. वहीं हर रोज काम पर आने से उन्हें अपने काम निबटाने की फुरसत नहीं मिलती. बुधवार को चास बाजार के व्यवसायियों ने साप्ताहिक बंदी को लेकर ‘प्रभात खबर’ को अपनी पीड़ा बतायी :
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