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साढ़े पांच साल में 218 मरीज

बोकारो: बौद्धिक राजधानी बोकारो में एचआइवी पॉजिटिव की संख्या लगातार बढ़ रही है. बेरमो व चास अनुमंडल सर्वाधिक संवेदनशील बन गया है. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो रफ्तार अभी धीमी है, लेकिन जो भी मरीज आये हैं. उनमें ट्रक ड्राइवर अधिक हैं. रोजी-रोटी की जुगाड़ में बाहर जाने वाले मजदूर भी इस बीमारी के शिकार […]

बोकारो: बौद्धिक राजधानी बोकारो में एचआइवी पॉजिटिव की संख्या लगातार बढ़ रही है. बेरमो व चास अनुमंडल सर्वाधिक संवेदनशील बन गया है. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो रफ्तार अभी धीमी है, लेकिन जो भी मरीज आये हैं. उनमें ट्रक ड्राइवर अधिक हैं. रोजी-रोटी की जुगाड़ में बाहर जाने वाले मजदूर भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं. बीमारी लेकर बाहर से आते हैं, घर पर अपनी पत्नी को बांट देते हैं.

नहीं हो रहा है प्रशिक्षण का असर : एचआइवी पर लगातार प्रशिक्षण शिविर लगाये जा रहे हैं. प्रशिक्षण का इस्तेमाल जिस प्रकार से होना चाहिए. उस प्रकार से नहीं किया जा रहा है. महिला स्वास्थ्य कर्मी द्वारा एचआइवी की जानकारी लोगों को नहीं के बराबर दी जा रही है. प्रशिक्षण में खर्च की गयी राशि बेकार चली जाती है. इसका पता एचआइवी पॉजिटिव की लगातार बढ़ रही संख्या से चलता है. आंकड़ों को देखें, तो 2010-11 में सबसे अधिक 66 मरीज मिले. कंडोम का वितरण भी काफी मात्र में दिखाया जाता है. जो सही नहीं है. कई जगहों पर कंडोम सैकड़ों की तादात में फेके पाये जाते हैं.

आइसीटीसी सेंटर ही दूर : एचआइवी पॉजिटिव जांच के लिए दो आइसीटीसी केंद्र बोकारो में स्थापित किये गये हैं. एक चास प्रखंड व दूसरा गोमिया प्रखंड में है. दोनों जगहों पर काउंसेलर व लैब तकनीशियन हैं. इसके नोडल पदाधिकारी डॉ बीपी गुप्ता हैं. चास अनुमंडल में पदस्थापित आइसीटीसी केंद्र शहरी क्षेत्र से काफी दूर है. ग्रामीण क्षेत्र से लोग नहीं के बराबर आते हैं. यह केंद्र चास अनुमंडल अस्पताल कंपाउंड में अलग जगह होना चाहिए, जबकि इसे आखिरी छोर में रखा गया है, जहां लोग कम ही जाना पसंद करते हैं.

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