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तस्कर लगा रहे इस्पात संयंत्र को चूना

अजय सिंह बोकारो : इन दिनों बोकारो इस्पात संयंत्र से तांबा-पीतल की चोरी जोरों पर है. चोर सीधे संयंत्र के गेट से अंदर घुसते हैं और कंपनी को लाखों का चूना लगा रहे हैं. इसके अलावा नाला भी संयंत्र में प्रवेश का सुरक्षित जरिया है. विगत 20 दिनों के अंदर शहर के विभिन्न थाना क्षेत्र […]

अजय सिंह
बोकारो : इन दिनों बोकारो इस्पात संयंत्र से तांबा-पीतल की चोरी जोरों पर है. चोर सीधे संयंत्र के गेट से अंदर घुसते हैं और कंपनी को लाखों का चूना लगा रहे हैं. इसके अलावा नाला भी संयंत्र में प्रवेश का सुरक्षित जरिया है.
विगत 20 दिनों के अंदर शहर के विभिन्न थाना क्षेत्र में सीआइएसएफ जवानों व पुलिस ने छापामारी कर 14 क्विंटल से अधिक तांबा का तार बरामद किया है. इन सभी मामलों में गिरोह के सदस्य या सरगना को गिरफतार करने में सफलता अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगी है. मौके पर से केवल वाहन चालक को गिरफ्तार कर जेल भेजा दिया जाता है.
समान बस से भेजा जाता है कोलकाता व आरा : पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार वाहन चालकों ने पूछताछ के क्रम में बताया है कि संयंत्र से तांबा केबल व पीतल के समानों को चुरा कर बस के माध्यम से कोलकाता व बिहार के जिला आरा, गया आदि स्थानों पर भेजा जाता है. यहां से चोरी के तांबा-पीतल को गला कर बरतन बनाने वाले लघु उद्योग में भेजा जाता है. आरा व कोलकाता में तांबा, पीतल बनाने के सैकड़ों लघु उद्योग हैं.
गौरतलब है कि संयंत्र से हर माह लाखों का समान चोरी हो रहा है, लेकिन सीआइएसएफ केवल एक-दो मामलों का उद्भेदन कर ही अपनी पीठ थपथपा रही है.
ऐसे होती है संयंत्र में चोरी
सूत्र बताते हैं कि संयंत्र में चोरी के दो रास्ते हैं. पहला तरीका यह है कि संयंत्र में काम करने वाले ठेकेदार संयंत्र के विभिन्न गेट पर पदस्थापित सीआइएसएफ कर्मी से मिलीभगत कर बिना गेट पास के अपने मजदूरों को संयंत्र के भीतर दाखिल करा देते हैं. बिना पास के संयंत्र के भीतर गये उक्त मजदूर तांबा केबल व पीतल का समान चुरा कर संयंत्र की चहारदीवारी के बाहर फेंक देते हैं.
चहारदीवारी के बाहर मजदूर के सहयोगी वाहन लेकर खड़े रहते हैं. दूसरा तरीका यह है कि संयंत्र से कचरा व पानी निकलने के लिए कई स्थानों पर बड़े-बड़े नाले हैं. इन नालों के रास्ते भी चोर संयंत्र के अंदर दाखिल होते हैं.
इसके बाद सामान चुरा कर चहारदीवारी के बाहर फेंक देते हैं. बाहर में गिरोह का सदस्य समान समेट कर उसे गायब कर देता है. इस तरह से कंपनी को हर माह लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है.
ठेका मजदूर की मौत के बाद हुआ था खुलासा
बोकारो इस्पात संयंत्र की सुरक्षा में तैनात सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्युरिटी फोर्स (सीआइएसएफ) के जवानों की मिलीभगत से इस्पात संयंत्र में दाखिल होने का मामला हाल ही में कुछ माह पहले सामने आया था, जब एक मजदूर की मौत संयंत्र के अंदर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पेड़ काटने के दौरान उसी पेड़ के नीचे दब कर हो गयी थी.
मजदूर की मौत के बाद बीएसएल प्रबंधन ने जब उक्त मजदूर के आश्रित के दावे पर नियम के अनुसार नौकरी व मुआवजा देने के लिए गेट पास व अन्य कागजात की मांग की तो पता चला कि ठेकेदार ने उक्त मजदूर का गेट पास ही नहीं बनवाया था.
ठेकेदार ने गेट पर तैनात सीआइएसएफ से मिलीभगत कर बिना किसी वैध कागजात के मजदूर को संयंत्र के भीतर दाखिल कराया था. मजदूर के आश्रित को केवल ठेकेदार से मिले पांच लाख रुपये पर ही संतोष करना पड़ा था.

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