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‘नशा’ को करें ‘ना’
बोकारो : मादक पदार्थों व नशीली वस्तुओं के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर, 1987 को प्रस्ताव संख्या 42/112 पारित कर हर वर्ष 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस मानाने का निर्णय लिया. यह कार्यक्रम एक तरह से नशे के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ पीड़ितों […]
बोकारो : मादक पदार्थों व नशीली वस्तुओं के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर, 1987 को प्रस्ताव संख्या 42/112 पारित कर हर वर्ष 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस मानाने का निर्णय लिया. यह कार्यक्रम एक तरह से नशे के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ पीड़ितों के उपचार के दिशा में भी पहल है. शुक्रवार को बोकारो के स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाया गया. बच्चों को जागरूक किया गया. बताया गया : ‘‘स्वास्थ्य के बारे में सोचें, नशे को न कहें.’’
नशा की गिरफ्त में तेजी से जा रहे युवा : मादक पदार्थो की लत आज के युवाओं में तेजी से फैल रही है. कई बार फैशन में या दोस्तों के उकसावे पर लिये गये ये मादक पदार्थ अक्सर जानलेवा होते हैं. कुछ तो फेविकोल, तरल इरेजर, पेट्रोल की गंध से आकर्षित होते हैं.
कई बार आयोडेक्स, वोलिनी जैसी दवाओं को सूंघकर इसका आनंद उठाते हैं. इन्हें ब्रेड पर लगाकर खाने के भी उदहारण देखे गये हैं. मजाक-मजाक में और जिज्ञासावशकिये गये ये प्रयोग कब कोरेक्स, कोदेन, ऐल्प्राजोलम, अल्प्राक्स, कैनेबिस जैसे दवाओं को भी घेरे में ले लेते हैं, पता ही नहीं चलता.
चोरी से लेकर अपराध तक : स्कूल-कॉलेजों या पास-पड़ोस में गलत संगति के साथ ही गुटखा, सिगरेट, शराब, गांजा, भांग, अफीम और धूम्रपान सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक नशे की ओर अपने-आप कदम बढ़ जाते हैं.
नशे का आदी बनने पर स्टूडेंट्स इसके लिए चोरी से लेकर अपराध तक करने को तैयार हो जाते हैं. नशा के लिए उपयोग में लायी जानी वाली सूइयां एचआइवी का कारण भी बनती हैं. यह अंतत: एड्स का रूप धारण कर लेती हैं.
घर के सदस्यों से पड़ती है आदत : कई बार तो बच्चे घर के ही सदस्यों से ही नशे की आदत सीखते हैं. उन्हें लगता है कि जो बड़े कर रहे हैं, वह ठीक है और फिर वे भी घर में ही चोरी शुरू कर देते हैं. चिकित्सकीय आधार पर देखें तो अफीम, हेरोइन, चरस, कोकीन, स्मैक जैसे मादक पदार्थों से व्यक्ति वास्तव में अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है. ये उत्तेजना लाने वाले पदार्थ हैं, जिनकी लत में व्यक्ति अपराध तक कर बैठता है. मामला सिर्फ स्वास्थ्य से नहीं, अपितु अपराध से भी जुड़ा है. जीवन अनमोल है, इसलिए नशा को ना-ना-ना कहें.
जागरूकता के लिए कई दिवस : मादक पदार्थों और नशा के संबंध में जागरूकता के लिए तमाम दिवस मसलन 31 मई को अंतरराष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस, 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस, गांधी जयंती पर दो से आठ अक्तूबर मद्यनिषेध सप्ताह और 18 दिसंबर को मद्य निषेध दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है.
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