बोकारो: दुग्दा थाना क्षेत्र के रेलवे कॉलोनी, टाइप 02, आवास संख्या 10 बी निवासी कोयला व्यवसायी भरत मिश्र जेपी सीमेंट कारखाना में कोयला सप्लायर थे. पहले वहां केवल भाजपा नेता जितेंद्र महतो कोयला सप्लाइ करते थे. जितेंद्र महतो भाजपा के टिकट पर गोमिया विधान सभा क्षेत्र से प्रत्याशी भी रह चुके हैं. भले ही वह चुनाव हार गये थे, पर जेपी सीमेंट कंपनी में उनका काफी दबदबा था. जितेंद्र के दबदबा के बाद भी भरत मिश्र जेपी सीमेंट कंपनी से एक हजार टन कोयला सप्लाइ करने का ऑर्डर ले चुके थे.
जितेंद्र महतो को भी तीन टन कोयला सप्लाइ का ऑर्डर मिला था. जेपी सीमेंट कंपनी पर अपना एकाधिकार कम होता देख जितेंद्र बौखला गया था. उसने भरत मिश्र को जेपी सीमेंट से हटाने के लिए कई बार उसका वर्कऑर्डर आदि का कागजात भी छीन लिया. जितेंद्र ने अपने सहयोगियों के माध्यम से जेपी सीमेंट कंपनी का काम छोड़ने के लिए भरत मिश्र को कई बार धमकी भी दी थी. लेकिन भरत मिश्र पर इसका कोई असर नहीं हुआ.
सीमेंट कंपनी में कोयला सप्लाइ की बात पर समझौता करने के लिए 14 अप्रैल 2012 की शाम जितेंद्र ने भरत मिश्र को बोकारो बुलाया. उसके बाद घटना को अंजाम दिया. हत्या के सात दिनों के बाद 21 अप्रैल 2012 को पुलिस ने तुलसी महतो (जितेंद्र का छोटा भाई) की निशानदेही पर भरत मिश्र का शव बैदकारो जंगल से बरामद किया. इस मामले में फिलहाल भाजपा नेता जितेंद्र महतो जमानत पर बाहर था. दोष सिद्ध होने के बाद भाजपा नेता को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया.
पुलिस का बेहतर अनुसंधान रंग लाया : कोल व्यवसायी के अपहरण की घटना के बाद जिले के एसपी कुलदीप द्विवेदी सक्रिय हुए. पुलिस टीम का गठन कर मोबाइल कॉल डिटेल्स के आधार पर अपराधियों को गिरफ्तार किया. घटना के एक सप्ताह बाद ही पुलिस ने इस मामले का पूरी तरह से उद्भेदन कर दिया. पुलिस द्वारा जुटाये गये ठोस साक्ष्य के आधार पर ही 17 माह के भीतर न्यायाधीश ने इस मामले के तीन अभियुक्तों को मुजरिम करार दिया. भरत मिश्र की पत्नी कंचन मिश्र के बयान पर पुलिस ने पहले अपहरण का मामला दर्ज किया था. शव बरामद होने के बाद यह मामला अपहरण के साथ हत्या में परिवर्तित हो गया.