पिछले दिन रितुडीह में न्यायालय के आदेश का तमिला जिस प्रकार से दंडाधिकारी विजय राजेश बारला व माराफारी थाना प्रभारी ने किया, वह महिला अत्याचार का नमूना है. बारात आने के चंद घंटे पहले घर खाली कराया गया. धरना पर रितुडीह की विमला भी सपरिवार बैठी थी, वह भी लाल चुनरी ओढ़े हुए. विमला का कहना था : वह न्यायालय का सम्मान करती है. अगर घर खाली ही कराना था तो शादी के दिन के एक-दो दिन पहले या एक -दो दिन बाद खाली करने की कार्रवाई होनी चाहिए थी. ठीक शादी के दिन ही घर खाली कराना किसी भी स्थिति में ठीक नहीं था. इससे मेरे साथ-साथ परिवार को भी ऐसी मानसिक पीड़ा हुई है, जो आज भी खत्म नहीं हुई है.
यह महिला पर अत्याचार नहीं तो और क्या है? अंत में आठ सूत्री ज्ञापन डीसी बोकारो को सौंपा गया. धरना में काफी संख्या में महिलाएं शामिल हुई. निलुकर, निजाम अंसारी, उमेश प्रसाद, कमरूल हसन, गुलाम मुस्तफा, विमला कुमारी, गायत्री देवी, रामनंद विश्वकर्मा, कन्हैया लाल, देव नाथ, चंद्र देवी, राधा देवी आदि मौजूद थे.