यह डॉ डीएन प्रसाद व रीता की दिन-रात की कड़ी मेहनत व लगन का ही परिणाम है. गांव से प्रारंभिक व उच्च शिक्षा प्राप्त कर बेंगलुरु से क्रिश्चन प्रीस्ट ट्रेनिंग लेने के बाद डॉ प्रसाद वर्ष 1978 में असेंबली ऑफ गॉड क्रिश्चन-कोलकाता में क्रिश्चियन प्रीस्ट व प्रबंध कमेटी के सदस्य के रूप में काम कर रहे थे. अच्छा पैसा मिल रहा था. समाज में सम्मान भी प्राप्त था.
डॉ प्रसाद ने वर्ष 1983 में एक अखबार में पढ़ा कि शिक्षा के क्षेत्र में बिहार पूरे देश में सबसे पिछड़ा राज्य है. यह बात उनके मन में घर कर गयी. उसी समय उन्होंने संकल्प लिया कि वह शिक्षा के विकास के लिए कुछ करेंगे, ताकि बिहार के बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर करें.