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जीने की ललक से हारी लाचारी

बोकारो : अक्सर हम ट्रेन में, बस स्टैंड पर, चौक-चौराहों में और अपने घरों के बाहर भी ऐसे लोगों को देखते हैं, जो विकलांगता के कारण मजबूरन भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते हैं. ऐसे लोगों को देख कर हम सबका मन पिघल उठता है. बोकारो के सेक्टर-1 निवासी 35 वर्षीय किशोर की कहानी […]

बोकारो : अक्सर हम ट्रेन में, बस स्टैंड पर, चौक-चौराहों में और अपने घरों के बाहर भी ऐसे लोगों को देखते हैं, जो विकलांगता के कारण मजबूरन भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते हैं. ऐसे लोगों को देख कर हम सबका मन पिघल उठता है. बोकारो के सेक्टर-1 निवासी 35 वर्षीय किशोर की कहानी इससे थोड़ी अलग है.

जन्म से ही उसका एक पैर और हाथ नहीं काम करता है, लेकिन इसके बावजूद उसने अपने घुटने नहीं टेके और गाड़ियों के टायर में हवा भर कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है. जन्म से ही किशोर के शरीर का एक हिस्सा निष्क्रिय है. इसके बाद भी वह कोई भी काम करने से पीछे नहीं हटता.

परेशानी मुङो नहीं, काम देने वालों को थी : पुराने दिनों को याद करते हुए किशोर बताता है कि जब वह काम की तलाश में निकला तो किसी ने उसे काम करने के काबिल नहीं समझा. किसी ने सहानुभूति जतायी तो किसी ने मजाक उड़ाया. लेकिन किशोर ने हार नहीं मानी और इज्जत की जिंदगी जीने की खातिर पेट्रोल पंप पर नौकरी कर ली.

नहीं मिलता योजनाओं का लाभ : किशोर ने बताया कि विकलांगता प्रमाण पत्र के अलावा सरकार की ओर से अबतक कुछ भी नहीं मिला है. कई बार प्रयास भी किया, लेकिन अधिकारी टाल-मटोल करते रहे.

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