नयी दिल्ली : फिल्म अभिनेता रघुवीर यादव अपने नाम के साथ व्यावसायिक फिल्मों का तमगा नहीं जोड़ना चाहते और वह ऐसी फिल्में करना चाहते हैं, जिसकी कहानी अच्छी हो और उनका चरित्र बढि़या हो. जल्द ही उनकी दो फिल्में क्लब 60 और एक बुरा आदमी रिलीज होने वाली है.
रघुवीर यादव ने बताया, मैं कमर्शियल और आर्ट फिल्मों के विभाजन के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता. मैं फिल्मों को लेकर बहुत चूजी हूं. मैं ऐसी फिल्में करना चाहता हूं जिनकी कहानी अच्छी हो और मेरे पास कुछ नया करने को हो.
उन्होंने कहा, फिल्में अच्छी होती हैं या बुरी. फिल्म चल जाती है तो वह कमर्शियल हो जाती है. इसलिए इन विभाजनों का मेरे लिए कोई मतलब नहीं है. मैं ऐसी किसी फिल्म का हिस्सा बनना नहीं चाहता, जिसमें मेरे पास करने और कहने को कुछ खास न हो. वह अपने कैरियर की दो बेहतरीन फिल्मों में निर्देशक प्रदीप कृष्ण की मैसी साहेब और निर्देशिका मीरा नायर की सलाम बांबे का नाम गिनाते हैं. फिल्म मैसी साहेब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना मिली थी.
इसके अलावा धारावाहिक मुंगेरी लाल के हसीन सपने में मुंगेरी लाल के चरित्र को उन्होंने ऐसा जीवंत किया कि लोगों के दिल में यह चरित्र छा गया.
मध्य प्रदेश के जबलपुर में पैदा हुए रघुवीर यादव ने ख्वाबों में फिल्म में जाने की बात नहीं सोची थी. लेकिन उन्हें गाना गाने के शौक जरूर था, जिसे देखकर पारसी थियेटर वालों ने उनसे संपर्क किया और वह पारसी थियेटर करने लगे.
अभिनेता अनु कपूर और लब्ध प्रतिष्ठित नाट्य निर्देशक रंजीत कपूर के पिता मदनलाल कपूर की एक पारसी थियेटर कंपनी द्वारा संपर्क किये जाने के बाद रघुवीर यादव ने वहां से अपनी रंगयात्रा शुरु की और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.