-चुनावी तिथि नजदीक आते ही पल-पल बदलने लगे चुनावी समीकरणसंवाददाता, बोकारोचुनावी शंखनाद के साथ ही प्रत्याशियों के टिकट मिलने से लेकर हार-जीत के कयास तेज हो गये हैं. जिस क्षेत्र में जो प्रत्याशी भारी दिखाई देता है, मतदाता उसे ही टिकट का दावेदार या विजयी घोषित कर रहे हैं. लेकिन अगले ही पल सीन में दूसरे प्रत्याशी के आने के बाद पिछले प्रत्याशी को हरा देते हैं. इस कयास में हर वर्ग शामिल है.चुनावी समर के निर्णायक : जिला में चार विधान सभा सीटें हैं, जिन पर चुनाव मैदान में ताल ठोंकते नजर रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी विधान सभा में प्रत्याशियों के घोषित नहीं होने से मतदाताओं के कयास को हवा मिल रही है. करीब साढे़ बारह लाख मतदाता इस चुनावी समर का निर्णय करेंगे. चेहरों को देख कर चुनावी विश्लेषक और ग्रामीण प्रत्याशियों को टिकट दिला रहे हैं, जिताने और हराने के कयास में लगे रहते हैं. किसी भी पार्टी के सक्रिय सदस्य व प्रत्याशियों के करीबियों को देख मतदाता उसे संतुष्ट करने के बाद कयास लगाना शुरू कर देते हैं कि यह प्रत्याशी जरूर जीत जायेगा. टिकट इसे ही मिलनी चाहिए.लेकिन दूसरे प्रत्याशी के समर्थकों के समक्ष दूसरा प्रत्याशी जीत जाता है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव की जीत-हार का परिदृश्य मतदान से पहले स्पष्ट हो सकता है, लेकिन अभी से कयास लगाना मतदाताओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है.दिल्ली में जमावड़ा : टिकट पाने के लिए बोकारो के लगभग एक दर्जन नेता व उनके समर्थक इन दिनों दिल्ली में जमे हुए हैं. गुटबाजी भी चरम पर है. सभी गुट अपने नेता को टिकट का प्रबल दावेदार बता रहा है. बोकारो भाजपा के अलावे कांग्रेस के नेता दिल्ली में टिकट के चक्कर में जमे हुए हैं.
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चौक-चौराहों पर दिन में कई बार हार-जीत रहे हैं प्रत्याशी!
-चुनावी तिथि नजदीक आते ही पल-पल बदलने लगे चुनावी समीकरणसंवाददाता, बोकारोचुनावी शंखनाद के साथ ही प्रत्याशियों के टिकट मिलने से लेकर हार-जीत के कयास तेज हो गये हैं. जिस क्षेत्र में जो प्रत्याशी भारी दिखाई देता है, मतदाता उसे ही टिकट का दावेदार या विजयी घोषित कर रहे हैं. लेकिन अगले ही पल सीन में […]
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