बेरमो: जिस बीटीपीएस की बंदी से श्रमिकों के बीच रोजी-रोटी का सवाल पैदा हो गया है, श्रमिक आंदोलित हैं, दरअसल यह स्थिति प्रशासन के फरमान को समूचेपन में नहीं लेने से पैदा हुई.
इसका खुलासा शुक्रवार को बेरमो एसडीओ भुवनेश प्रताप सिंह के उस बयान से हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने कोनार नदी में छाई बहाव रोकने को कहा था, जबकि प्लांट बंद कर दिया गया.
शुक्रवार को बेरमो एसडीओ श्री सिंह ने पत्रकारों को बताया कि उनके निर्देश पर प्लांट बंद नहीं किया गया है. बंदी का निर्णय बोकारो थर्मल प्रबंधन का खुद का है. एसडीओ श्री सिंह ने कहा कि बोकारो थर्मल का डीवीसी प्रबंधन यदि पावर प्लांट को बंद रखता है तो दूसरी धाराओं के तहत उन पर अलग से कार्रवाई की जायेगी.
यह है मामला : एसडीओ ने कहा कि गुरुवार को डीवीसी द्वारा कोनार नदी में छाई बहाव के मामले की जांच के बाद बोकारो थर्मल के परियोजना प्रधान प्रमोद कुमार को उन्होंने छह घंटे में नदी में छाई बहाव को बंद करने का निर्देश दिया था, जबकि प्रबंधन ने पावर प्लांट बंद कर दिया. एसडीओ श्री सिंह ने कहा कि नदी को प्रदूषित करने के मामले में बोकारो थर्मल प्रबंधन पर गत तीन वषों से सीआरपीसी की धारा 133 के तहत करवाई जारी है. इसे अबतक धारा 136 में तब्दील हो जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में कोनार एवं दामोदर नदी में छाई युक्त प्रदूषित जल बहाने नहीं दिया जायेगा.
..पर पानी गंदा नहीं : परियोजना प्रधान
इस बाबत पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर बीटीपीएस के परियोजना प्रधान प्रमोद कुमार ने कहा कि नदी में छाई युक्त पानी नहीं गिराया जा रहा है. देखने में लगता है कि पानी गंदा है, परंतु गंदा है नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि वह फिलहाल बीटीपीएस में निर्माणाधीन 500 मेगावाट प्लांट के संबंध में बातचीत करने आये हैं.