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ससुराल से ठुकरायी विजया पहुंची शूटिंग रेंज वन्नमकाली नहीं, फिर भी ओणम की धूम

बोकारो: अथम से तिरुअनंतपूरम तक मनाया जाने वाला त्योहार ओणम चास-बोकारो में भी मनाया जा रहा है. कृषि से संबंधित इस त्योहार में केरल की तरह यहां वन्नमकाली यानी सांप की तरह की नाव की दौड़ तो नहीं हो रही, पर लोग घर-घर में पूकालम यानी फूलों की रंगोली बनाना नहीं भूल रहे. यह त्योहार […]

बोकारो: अथम से तिरुअनंतपूरम तक मनाया जाने वाला त्योहार ओणम चास-बोकारो में भी मनाया जा रहा है. कृषि से संबंधित इस त्योहार में केरल की तरह यहां वन्नमकाली यानी सांप की तरह की नाव की दौड़ तो नहीं हो रही, पर लोग घर-घर में पूकालम यानी फूलों की रंगोली बनाना नहीं भूल रहे.

यह त्योहार यहां दस दिनों तक केरल की तरह ही मनाया जा रहा है. शुरुआत 29 अगस्त से हुई है. ओणम सात सितंबर को है. बोकारो में रहने वाले केरल वासियों के घर-घर में उत्साह का माहौल है. सभी घर में ओणम मन रहा है.

संस्थाओं की सक्रियता : ओणम को लेकर अयप्पा सेवा संगम व केराली कल्चरल एसोसिएशन की ओर से आकर्षक ग्रीटिंग कार्ड बांटे जा रहे हैं. केराली पब्लिक स्कूल सेक्टर-4 में ओणम लंच हो चुका है. यहां सा सितंबर को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा. श्री अयप्पा पब्लिक स्कूल में छह सितंबर को ओणम लंच होगा. इसमें स्कूल के शिक्षक -शिक्षिकाओं के साथ-साथ चास-बोकारो के गण्यमान्य लोग भी शामिल होंगे. सेक्टर-5 स्थित श्री अयप्पा मंदिर में सात को फूलों की आकर्षक रंगोली बनेगी.

प्रजा से मिलने आते हैं राजा बलि : ओणम के बारे में कहा जाता है कि सालों पहले राजा महाबली केरल में थे. वह एक न्यायप्रिय, दयालु व प्रजावत्सल थे. मान्यता है कि राजा हर साल ओणम पर अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए उनके घर आते हैं. प्रजा अपने प्रिय राजा के स्वागत में बड़े उल्लास के साथ ओणम त्योहार मनाती है. इस दिन केले के व्यंजन बनाये जाते हैं. केला के नमकीन और मीठे चिप्स, चने की दाल खीर, अडा (चावल) की खीर इस दिन का खास व्यंजन है. केले के पत्ते पर भोजन किया जाता है.

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