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बीटीपीएस का कोल स्टॉक खत्म

– मेजिया में तीन दिनों का ही बचा है कोयला – पतरातू थर्मल में सबसे अधिक 94 व तेनुघाट में 24 दिनों का कोल स्टॉक – बिजली संकट का खतरा – केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों में हुआ खुलासा चंद्रपुरा : देश भर के थर्मल पावर प्लांटों के कोल स्टॉक की खराब स्थिति से डीवीसी […]

– मेजिया में तीन दिनों का ही बचा है कोयला

– पतरातू थर्मल में सबसे अधिक 94 व तेनुघाट में 24 दिनों का कोल स्टॉक

– बिजली संकट का खतरा

– केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों में हुआ खुलासा

चंद्रपुरा : देश भर के थर्मल पावर प्लांटों के कोल स्टॉक की खराब स्थिति से डीवीसी अछूता नहीं. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीइए) डेली कोल रिपोर्ट के अनुसार डीवीसी की महत्वपूर्ण इकाई 630 मेगावाट के बोकारो थर्मल पावर प्लांट (बी) का कोल स्टॉक समाप्त हो चुका है़. प्राधिकरण ने इस प्लांट को कोल सप्लाई के लिहाज से फिलहाल क्रिटिकल श्रेणी में रखा है़ पश्चिम बंगाल के मेजिया थर्मल में भी तीन दिनों का ही कोल स्टॉक शेष है़. दोनों प्लांटों की कोयला आपूर्ति बाधित होने से इन यूनिटों को बंद किया जा सकता है.

प्लांटों में कोयले का स्टॉक : उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार झारखंड में डीवीसी की अन्य परियोजनाओं में चंद्रपुरा थर्मल पावर प्लांट में 16 दिन, कोडरमा थर्मल में 17 दिन व मैथन आरबी में 25 दिनों का कोयले का स्टॉक बचा हुआ है. पश्चिम बंगाल की परियोजनाओं में दुर्गापुर थर्मल में 30 दिन व दुर्गापुर स्टील में 13 दिन का स्टॉक शेष बचा है़ इन प्लांटों में कोयले की आपूर्ति रेल व सड़क मार्ग से होती है.

इसलिए उत्पादन प्रभावित होने की संभावना कम है, मगर बोकारो थर्मल व मेजिया की यूनिटों को कोयले की आपूर्ति में थोड़ी भी कमी हुई तो इसके यूनिटों को बंद करने की नौबत आ सकती है़ बीटीपीएस के बंद होने से झारखंड के कई जिलों में बिजली की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है़

प्लांटों की कोयला आपूर्ति जरूरत : बतातें चलें कि बीटीपीएस को प्रतिदिन नौ हजार मैट्रिक टन कोयला चाहिए.

मेजिया थर्मल को 2340 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिये 32 हजार मैट्रिक टन कोल की जरूरत पड़ती है़. चंद्रपुरा, दुर्गापुर स्टील व कोडरमा थर्मल को लगभग 12 हजार मैट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है़ दुर्गापुर थर्मल के लिए कम से कम सात हजार कोयले की जरूरत डीवीसी को पड़ती है़.

पतरातू में पर्याप्त कोयला : झारखंड प्रदेश में डीवीसी की परियोजनाओं के अलावा राज्य सरकार की परियोजनाओं में कोयले की कमी नहीं है़.

770 मेगावाट क्षमता वाली पतरातू थर्मल की अधिकांश यूनिटों के बंद रहने के कारण इस प्लांट में अभी भी 94 दिनों का कोल स्टॉक शेष है़. तेनुघाट थर्मल पावर प्लांट के पास 24 दिनों का कोयला बचा है. इसकी क्षमता 440 मेगावाट है तथा उसे प्रतिदिन छह हजार मैट्रिक टन कोयले की आवश्यकता होती है़.

डीवीसी का उत्पादन 2486 मेगावाट

शनिवार को डीवीसी का उत्पादन 2486 मेगावाट हो रहा था़ डीवीसी से मिली जानकारी के अनुसार बीटीपीएस की एक यूनिट शनिवार को बंद हो गयी. इसकी एक नंबर यूनिट से 165 मेगावाट, मेजिया थर्मल की चार यूनिटों से 980 मेगावाट, दुर्गापुर थर्मल की एक यूनिट से 165, चंद्रपुरा थर्मल की चार यूनिटों से 610, दुर्गापुर स्टील की एक यूनिट से 495 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा था, जबकि पंचेत हाइडेल से 37 व मैथन हाइडेल से 34 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था.

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