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बोकारो : जेसीबी के सामने टिक न सकी किसी की फरियाद, नेतागिरी कर निकल गये ददई
बोकारो : साहेब, कुछ दिन का मौका और दे दीजिए. हम खुद ही यहां से घर हटा लेंगे. घर टूट जायेगा तो कहां रहेंगे साहब… कुछ ऐसी ही फरियाद बोकारो रेलवे स्टेशन (कुर्मीडीह) के लोग अपना आशियाना को बचाने के लिए कर रहे थे. बावजूद इसके प्रशासनिक अमला पर इसका कोई असर नहीं हुआ. जेसीबी […]
बोकारो : साहेब, कुछ दिन का मौका और दे दीजिए. हम खुद ही यहां से घर हटा लेंगे. घर टूट जायेगा तो कहां रहेंगे साहब… कुछ ऐसी ही फरियाद बोकारो रेलवे स्टेशन (कुर्मीडीह) के लोग अपना आशियाना को बचाने के लिए कर रहे थे.
बावजूद इसके प्रशासनिक अमला पर इसका कोई असर नहीं हुआ. जेसीबी के सामने फरियाद टिक न सकी. देखते-देखते कई घर जमींदोज हो गये. अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर स्थानीय लोग राजनीति के फेर में फंस कर रह गये. स्थानीय लोगों की माने तो पहले वर्तमान सांसद पीएन सिंह से फरियाद की गयी थी.
पीएन सिंह ने हर संभव मदद का भरोसा दिया था. ढुलमूल रवैया से लोगों की आस टूटने लगी. इसके बाद स्थानीय लोग पूर्व सांसद ददई दुबे की शरण में गये. ददई दुबे ने किसी भी घर-दुकान को नहीं टूटने देने का वादा किया. इसके बाद स्थानीय लोगों ने रेलवे की नोटिस को नजरअंदाज किया. नतीजा अतिक्रमण पर जेसीबी चलने के रूप में आया.
शनिवार को भी ददई दुबे अतिक्रमण के विरोध में सामने आये. कहा : पहले लोगों को बसाने के लिए जगह व एक लाख रुपये दिये जाये. इसके बाद ही अतिक्रमण हटाना चाहिए. इसपर चास सीओ वंदना सेजवलकर ने कहा : हम अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. आदेश का पालन कर रहे हैं. चाहे सरकार किसी भी पार्टी की हो हम ड्यूटी निभाते हैं.
इसके बाद ददई दुबे ने कहा : लोगों के घर तोड़ने के पहले बुलडोजर को मेरे सीना से होकर गुजरना पड़ेगा. प्रशासनिक अधिकारी ने पहले से खाली घर पर बुलडोजर चलाना शुरू किया. इसके बाद ददई दुबे बुलडोजर के पास आकर विरोध किया. कहा : टूटे घर के अलावा अब कोई घर नहीं टूटना चाहिए. अगर ऐसा हुआ, तो क्रांति होगी. इसके बाद ददई दुबे चले गये.
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