बोकारो: बोकारो जिला में पदस्थापित गृह रक्षा वाहिनी के 150 जवानों को पिछले छह माह से (दिसंबर 2013 से मई 2014 ) मानदेय नहीं मिला है. घर की माली हालत इतनी बुरी हो जाने से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो गयी है. बार-बार यह स्थिति आती है. आजिज आकर उन्होंने अपने परिवार को गांव भेज दिया गया है.
पूरे राज्य में है यह स्थिति
होमगार्डो की यह दुर्दशा है सिर्फ बोकारो के जवानों के साथ ही नहीं है, बल्कि पूरे झारखंड की विधि-व्यवस्था में लगे गृह रक्षकों की है. मानदेय के अभाव में सभी की स्थिति दयनीय होती जा रही है. इसके बावजूद भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके गृह रक्षक इस अवस्था में भी नियमित डय़ूटी पर लगे हुए हैं. हालांकि होमगार्ड कमांडेंट विनय कुमार झा कहते हैं कि एक सप्ताह के अंदर ही दो माह का भुगतान कर दिया जायेगा.
सुविधाओं का भी अभाव
गृह रक्षकों को दैनिक भत्ता के नाम पर तीन सौ रुपये दिये जाते हैं. वे वरदी, जूता भत्ता, मेडिकल सुविधा सहित कई सुविधाओं से भी वंचित हैं. यह सुविधा चार-पांच वर्षाें से बंद है. बिहार सरकार में तैनात गृह रक्षा वाहिनी की तर्ज पर झारखंड सरकार इन्हें वरदी व जूता भत्ता के तौर पर एक मुश्त राशि देगी, इस पर भी संशय है. विधि व्यवस्था में लगे इन जवानों ने कई बार वेतन को लेकर संबंधित अधिकारियों से गुहार लगायी, लेकिन इसका असर झारखंड सरकार पर नहीं पड़ा.