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क्या अवैध ईंंट व गिट्टी से हो रहा भारत निर्माण!

सवाल. जिला में 1.08 करोड़ ईंट निर्माण की क्षमता, 18 भट्ठे रजिस्टर्ड बालू की उपलब्धता पर उठ रहा सवाल बोकारो : स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भवन निर्माण, पेयजल योजना के तहत पानी टंकी का निर्माण, आदि-आदि जैसी आधारभूत विकास की कई योजनाएं हैं जिसे गति मिल रही […]

सवाल. जिला में 1.08 करोड़ ईंट निर्माण की क्षमता, 18 भट्ठे रजिस्टर्ड

बालू की उपलब्धता पर उठ रहा सवाल
बोकारो : स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भवन निर्माण, पेयजल योजना के तहत पानी टंकी का निर्माण, आदि-आदि जैसी आधारभूत विकास की कई योजनाएं हैं जिसे गति मिल रही है. जिला के इस आधारभूत विकास की नींव जिस ईंट व गिट्टी पर टिकी है, उसकी भरपाई के लिए पंजीकृत ईंट भट्ठे क्रशर की तादाद जरूरत को देखते हुए अपर्याप्त है. जिला की जरूरत को देखते हुए पंजीकृत ईंट भट्ठे व क्रशर की संख्या बेहद कम है. बोकारो में 18 ईंट भट्ठा रजिस्टर्ड हैं. जिला के सभी रजिस्टर्ड ईंट भट्टा की कुल क्षमता 1.08 करोड़ प्रति सीजन है. यानी बोकारो में भारत निर्माण के लिए रजिस्टर्ड ईंट की संख्या मात्र 1.08 करोड़ है. इसके अलावा बोकारो में 77 गिट्टी क्रशर रजिस्टर्ड है. क्रेशर की क्षमता 160 सीएफटी गिट्टी प्रतिदिन से लेकर 16000 सीएफटी प्रतिदिन है.
… तो इतना निर्माण कैसे : बोकारो में इस साल स्वच्छ भारत मिशन के तहत 85 हजार सामुदायिक व एकल शौचालय बनाये गये हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 8240 हजार आवास बनाने का लक्ष्य है. इसके अलावा कई योजनाओं के तहत निर्माण कार्य चल रहे हैं. एक शौचालय में औसतन 1200 ईंट का खर्च होता है. इस हिसाब से शौचालय निर्माण में ही आठ करोड़ से अधिक ईंट की जरूरत होगी. प्रधानमंत्री आवास निर्माण में कम से कम 1.5 लाख ईंट की जरूरत है. आवास निर्माण में 12,36,000 लाख ईंट की जरूरत होगी. ऐसे में सवाल है कि जब बोकारो में रजिस्टर्ड भट्ठे मात्र 1.08 करोड़ ईंट निर्माण की क्षमता रखते हैं तो आखिर इतना निर्माण कार्य कैसे हो रहा है.
लोहपट्टी से ईंट व चंदनकियारी से बालू
बोकारो में रियल इस्टेट की स्थिति खराब है. बावजूद इसके निर्माण कार्य जारी है. इसके लिए बुनियादी जरूरत की पूर्ति भी हो रही है. निर्माण कार्य में लगे लोगों की मानें तो बोकारो में मुख्यत: बालू सीमाबाद (चंदनकियारी) क्षेत्र से आता है. ईंट की आपूर्ति धनबाद के लोहपट्टी से होती है. गिट्टी की आपूर्ति जिला के ही विभिन्न हिस्सों में चल रही क्रशर से होती है. वृहद पैमाने पर निर्माण कार्य कर रहे बिल्डर्स दुमका, जामताड़ा व रामपुर हाट से भी गिट्टी मंगवाते हैं.
बिना बालू के हो रहा निर्माण या अवैध है बालू
किसी भी प्रकार का भवन निर्माण बालू के बिना संभव नहीं है, लेकिन आश्चर्य है कि जिला में एक भी बालू घाट का निबंधन नहीं किया गया है. हालांकि स्वच्छता मिशन, प्रधानमंत्री आवास व अन्य सरकारी निर्माण के लिए बीडीओ की देखरेख में बालू का इस्तेमाल संभव है. अन्य निजी निर्माण कार्य के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. बोकारो जिला में 50 से अधिक अपार्टमेंट का निर्माण कार्य चल रहा है. 100 से अधिक निजी भवन बन रहे हैं. इसके लिए बालू कहां से आ रहा है. मालूम हो कि पिछले दिनों पर्यावरण विभाग के हस्तक्षेप के बाद सात बालू घाटों की निबंधन प्रक्रिया रोक दी गयी थी.
150 करोड़ का बिल लंबित
जिला के हर भाग में तमाम सरकारी विभाग की ओर से निविदा पर काम जारी है. कार्य में ईंट, बालू व गिट्टी का इस्तेमाल होता है. असली परेशानी संवेदक को निर्माण के बाद बिलिंग के समय होती है. सभी विभाग की ओर से ईंट, बालू व गिट्टी के चालान की मांग होती है. बोकारो में रजिस्टर्ड ईंट भट्ठे, बालू घाट व गिट्टी क्रशर की संख्या कम होने के कारण संवेदक को चालान जमा करने में परेशानी होती है. पिछले तीन माह में 150 करोड़ रुपया का फंडिंग लटक गयी है. हालांकि, पिछले सप्ताह बोकारो डीसी ने सरकारी दर से दोगुना चालान वसूल कर बिल पास करने की अनुमति दी.

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