करोड़ों की चोरी. एचएससीएल प्रशासनिक भवन एसबीआइ पहुंचे लॉकर होल्डर्स ने बैंक प्रबंधन और प्रशासन को कोसा
सेक्टर 04/एफ निवासी नीलम सिंह ने बताया कि इसी साल बेटे की शादी बिना दहेज लिये करायी थी. लॉकर में अपना और बहू का गहना रखा था. पति बीएसएल में काम करते हैं. पेट काट-काट कर खुशियां जमा की थी. चोरों ने जमा पूंजी ही नहीं, बल्कि खुशियां भी लूट ली. महिला कभी छाती पीटती, तो कभी बदहवास होकर इधर-उधर भागती. कहती हैं : अरे दादा रे दादा! जिनगी भर के कमाई ले के चल गइल…बैंक वाला पिछले ही महीना छोटा ताला बदलवा कर बड़ ताला लगवईले रहुए. बड़ ताला लगावाए के बादो चोरी हो गइल. अब का होई, हमनी बड़ आदमी नईखी, खाली गहना रखे चलते लॉकर खोलवइले रहनी. सब चोरी कर लेल सन.
दु:ख, गुस्सा और खीझ
समय : 10 बजे : बैंक लॉकर में लूट की जानकारी मिलने के बाद ग्राहक बैंक पहुंचने लगे. अस्पष्ट जानकारी होने के किसी ग्राहक के चेहरे में बेचैनी थी तो किसी के चेहरे में थोड़ी सी उम्मीद की किरण. हर कोई अपने लॉकर की सुरक्षा की कामना कर रहा था.
समय : 10:15 बजे. बैंक की ओर से क्षतिग्रस्त लॉकर की सूची मुख्य दरवाजा के बाहर चिपका दी गयी. इसके बाद लोगों ने अपने लॉकर की स्थिति का जायजा लेना शुरू किया. सूची में जिसकी लॉकर संख्या नहीं थी, वह तो भगवान को हाथ जोड़ते लाइन से हट रहा था. लेकिन, जिसकी लॉकर संख्या सूची में थी, वह वहीं सिर पीट कर बैठ जा रहा था. कईलोग बार-बार सूची को देखने के बाद भी मन को तसल्ली देने की कोशिश करता.
समय : 11:00 बजे. धीरे-धीरे ग्राहकों की भीड़ शाखा में बढ़ने लगी. साथ ही ग्राहकों का गुस्सा भी बढ़ने लगा. हर कोई घटना के लिए बैंक की सुरक्षा पॉलिसी को जिम्मेदार मान रहा था. कई लोग बैंक अधिकारियों के चुप्पी पर भी सवाल खड़ा कर रहे थे. बैंक अधिकारी व कर्मी ग्राहकों को समझाने की कोशिश करते, लेकिन हर कोशिश नाकाम ही साबित हो रही थी.
समय : 12:00 बजे. बैंक परिसर ग्राहकों से भर गया. शोर-शराबा भी बढ़ गया. हर कोई अपनी जमा पूंजी का हिसाब बैंक से मांग रहा था. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए होमगार्ड के महिला दस्ता को परिसर में बुला लिया गया. साथ ही सैफ के जवान भी मुस्तैद कर दिये गये. समय के साथ-साथ हलचल बढ़ता ही गया.
बैंक परिसर में शांत खड़ी मिलीं मंजू सिंह. घंटों बैंक में रहने के बाद भी किसी ने कुछ नहीं बोली. बस ठिठकी आंखों में अपनी खुशी भरे दिन याद करती रही. एकाएक गम के आंसू भावना के बांध को तोड़ते हुए बाहर निकलते हैं और मंजू सिंह बोलती हैं : बैंक सुरक्षा नहीं दे सकता है, तो लॉकर की सुविधा की बात क्यों करता है. यह जज्बातों के साथ खेलने जैसा है. सरासर बैंक दोषी है. बैंक का कहना है कि जिम्मेदारी हमारी नहीं है, तो हर साल पैसा क्यों वसूला जाता है. अगर लॉकर का बीमा ही करवाना ही उपाय है, तो घर में ही सामान का बीमा नहीं कराया जा सकता क्या.
बैंक के कुल 86 लॉकरों से चोरी हुई है. 76 लॉकर होल्डर्स की सूची भी आ गयी है. अन्य 10 लॉकर जो काटे गये हैं, वह किसी को आवंटित नहीं किये गये थे. बुधवार को 12 लॉकर होल्डर्स ने लॉकर में रखी संपत्ति का ब्योरा बैंक को दिया. औसतन हर लॉकर से 10 लाख रुपये की संपत्ति चोरी होने की बात कही गयी है. एसबीआइ आरबीओ बोकारो की रिजनल मैनेजर रंजीता शरण सिंह ने बताया कि सभी प्रभावित लॉकर होल्डर्स ब्योरा देंगे, तभी नुकसान का सही आकलन संभव है. कई लॉकर होल्डर्स शहर के बाहर हैं, उन्हें सूचना दी जा रही है.
सेक्टर 02/बी के रंजेश कुमार सिंह ने कहा कि छोड़िए… क्या कहे, सब बैंक की लापरवाही है. लॉकर रूम में लकड़ी का दरवाजा लगाया हुआ था. दो साल पहले लॉकर सुविधा ली थी. मां और पत्नी के जेवर जमा थे. पुश्तैनी गहना था. बैंक ने तो पुश्त की कहानी को ही खत्म कर दिया है. बैंक वाले सुरक्षा के लिए पुलिस को जिम्मेदार मान रहे हैं. अरबों का व्यवसाय करने वाला बैंक गार्ड नहीं रख सकता.
सेक्टर 04/एफ निवासी गोपाल प्रसाद मोहंती ने कहा कि किस्मत ही खराब थी कि लॉकर सुविधा ली. घर में ही कीमती सामान रखते तो बेहतर रहता. 22 लाख रुपया से अधिक का पुश्तैनी व आधुनिक गहने लॉकर में थे. इसके अलावा बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि के जरूरी कागजात भी थे. एक ही दिन में क्या से क्या हो गया. बैंक ने लूट के बारे में जानकारी भी नहीं दी. जरूरत पड़ी तो कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे.
चीरा चास निवासी एचके सहाय ने कि लॉकर लूट की जानकारी सुबह अखबार के माध्यम से मिली. इसके बाद बैंक आया. यहां किसी अधिकारी व कर्मी ने जवाब नहीं दिया. सिर्फ दरवाजा के बाहर चिपकायी गयी सूची के बारे में बताया गया. सूची से ही लॉकर के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिली. 30 नंबर लॉकर में गहना था. पुश्तैनी गहना भी गायब हो गया. सरासर दोषी बैंक प्रबंधन है.
सेक्टर 04/एफ के डीके सिंह ने कहा कि 53 नंबर लॉकर लिया था. चोरी के लिए बैंक ही जिम्मेदार है. लॉकर में सेंध लगी तो बैंक जवाबदेह नहीं, यदि सेंध चेस्ट में लग गयी होती तो क्या यही जवाब होता. बैंक के विश्वास पर लॉकर लिया था. बैंक ने विश्वास तोड़ दिया. अरबों की संपत्ति बिना सुरक्षा प्रहरी के कैसे रखा जा सकता है. क्या आरबीआइ ने सुरक्षा प्रहरी रखने से भी मना किया है.
सेक्टर 09/बी के विजय कुमार ने कहा कि बैंक आरबीआइ के गाइड लाइंस की बात कर रहा है. बैंक अधिकारियों की माने तो लॉकर में हुए नुकसान होने पर बैंक हर्जाना नहीं देता है. वहीं, बैंक अधिकारी लॉकर खोलने के लिए ग्राहकों को बोलते क्यों हैं. 49 नंबर लॉकर लिया था. लेकिन, बैंक ने ही सुरक्षा को तार-तार कर दिया. हालत ऐसी हो गयी कि सिर्फ किस्मत को ही दोष दे सकते हैं.या उस समय को जिस समय लॉकर लेने का मन बनाया था. पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी भी कम नहीं है.
सेक्टर 04/एफ निवासी उमेश चौधरी ने बताया कि एक-एक रुपया जमा कर गहना लिया था. एक नंबर श्रृंखला के 20 नंबर लॉकर में रखा था. 10 लाख का गहना था. कुछ नहीं बचा. इसके लिए जिम्मेदार कौन है, बैंक या पुलिस. सच बताये तो दोषी ग्राहक हैं, जो बैंक की बात में आकर लॉकर की सेवा लेते हैं. बहुत बड़ी गलती हुई है. अब इस बैंक से रिश्ता भी रखना मुनासिब नहीं है. बैंक ने पुष्ट सूचना भी नहीं दी.