स्थिति देख कर अतिरिक्त भवन बनाने का निर्देश दिया था. नये भवन को हैंड ओवर लेने के बाद भी मरीजों को यहां शिफ्ट नहीं किया गया. कमरे का उपयोग प्रशिक्षण देने और कार्यशाला आयोजित करने आदि के लिए किया जाने लगा. इसके बाद एमओ आइसी ने एक कक्ष में खुद के रहने की व्यवस्था कर ली.
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मरीजों के लिए बने नये भवन पर प्रभारी और दवाओं का है कब्जा
बोकारो : चास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए 30 लाख रुपये की लागत से बने नये भवन का लाभ दो साल बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहा है. इस भवन में तीन कक्ष हैं. सभी में ताला बंद है. एक कक्ष में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बी मिश्रा का कब्जा है. अन्य दो कक्षों […]
बोकारो : चास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए 30 लाख रुपये की लागत से बने नये भवन का लाभ दो साल बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहा है. इस भवन में तीन कक्ष हैं. सभी में ताला बंद है. एक कक्ष में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बी मिश्रा का कब्जा है. अन्य दो कक्षों में दवाएं रखे जाने की बात कही गयी. बरामदे को आलमीरा और कागजात के बंडलों भर दिया गया है. बाकी बचे जगहों पर स्वास्थ्य कर्मियों को काम करने में लगा दिया गया है. शौचालय में भी ताला बंद है.
हर वक्त मरीजों की जान जोखिम में : पीएचसी प्रांगण के पुराना खपरैल भवन जर्जर हो चुका है. इलाज के दौरान कब कक्ष के अंदर खपरैल आदि गिर जाये, कहा नहीं जा सकता है. मरीजों की जान जाेखिम में रहती है. यहां शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है. लगभग तीन साल पूर्व तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने अस्पताल का दौरा किया था.
स्थिति देख कर अतिरिक्त भवन बनाने का निर्देश दिया था. नये भवन को हैंड ओवर लेने के बाद भी मरीजों को यहां शिफ्ट नहीं किया गया. कमरे का उपयोग प्रशिक्षण देने और कार्यशाला आयोजित करने आदि के लिए किया जाने लगा. इसके बाद एमओ आइसी ने एक कक्ष में खुद के रहने की व्यवस्था कर ली.
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