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बकोरिया कांड: एनएचआरसी ने डीजीपी को लिखा पत्र, अनुसंधानक व सुपरविजन अफसर पर करें कार्रवाई

रांची: पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 की रात हुई कथित पुलिस मुठभेड़ में 12 लोग मारे गये थे. इस घटना को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखा है. आयोग ने मामले की जांच सही तरीके से नहीं करनेवाले और सही तरीके से सुपरविजन नहीं करनेवाले जिला […]

रांची: पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 की रात हुई कथित पुलिस मुठभेड़ में 12 लोग मारे गये थे. इस घटना को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखा है. आयोग ने मामले की जांच सही तरीके से नहीं करनेवाले और सही तरीके से सुपरविजन नहीं करनेवाले जिला पुलिस और सीआइडी के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. साथ ही कहा है कि की गयी कार्रवाई से संबंधित रिपोर्ट आठ सप्ताह (दो माह) के भीतर आयोग को दें.

आयोग ने डीजीपी से यह भी अनुशंसा की है कि इस मामले की जांच एसपी रैंक के अफसर से करायें और मामले का सुपरविजन आइजी रैंक के अफसर से करायें. आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि मृतक उदय यादव की पत्नी मंजू देवी ने हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें हाइकोर्ट ने पुलिस को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया था. हाइकोर्ट में चल रहे इस मामले की ताजा स्थिति की जानकारी भी डीजीपी सरकार को दें. आयोग ने अपनी अनुशंसा जांच रिपोर्ट के आधार पर की है.

तीन माह पहले आयोग की पांच सदस्यीय टीम रांची आयी थी. टीम के सदस्यों ने घटनास्थल पर जाकर मामले की जांच की थी. टीम ने अपनी रिपोर्ट आयोग को दे दी है. घटना के बाद घटनास्थल की कुछ तसवीरें सामने आयी थीं. पुलिस द्वारा तैयार जब्ती सूची और तसवीरों ने पुलिस की मुठभेड़ की कहानी पर सवाल खड़ा कर दिया था. घटनास्थल पर पड़े एक हथियार में न तो मैगजीन था और न ही बोल्ट. एक अन्य हथियार में बोल्ट तो था, पर मैगजीन नहीं था. जब्ती सूची में पुलिस ने इन दोनों हथियारों से बारुद की गंध आने (हथियार से फायरिंग किये जाने) की बात लिखी थी. पुलिस ने जब्ती सूची में जिस तौलिए को खून लगा बता कर जब्त किया था, तसवीर में उस तौलिए पर खून लगा नहीं दिख रहा था. इन तसवीरों के जरिये ही उदय यादव की पत्नी ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में 12 लोगों की हत्या की.

सीआइडी कर रहा है कथित पुलिस मुठभेड़ की जांच
उल्लेखनीय है कि कथित पुलिस मुठभेड़ में 12 लोगों के मारे जाने की घटना की जांच सीआइडी कर रहा है. घटना के करीब दो साल पूरे होने को है, लेकिन सीआइडी अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि मुठभेड़ असली था या फर्जी. मारे गये लोग नक्सली थे या बेकसूर. गौर करनेवाली बात है कि जिन 12 लोगों की मौत हुई थी, उनमें सिर्फ एक डॉ आरके उर्फ अनुराग के नक्सली होने का रिकॉर्ड पुलिस के पास था. अन्य जो लोग मारे गये थे, उनमें अमलेश यादव(35), अनुराग का बेटा संतोष यादव (25), अनुराग का भतीजा योगेश यादव (25), स्कॉरपियो का चालक मो एजाज अहमद, पारा टीचर उदय यादव (35), नीरज यादव (25), महेंद्र (करीब 17-18 साल) शामिल हैं. इनमें से किसी के भी नक्सली होने का रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं था.

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