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छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले में रांची का प्रदीप भी हुआ शहीद, आज लाया जायेगा शहीद का शव

रांची: मंगलवार को छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में रांची स्थित नगड़ी थाना क्षेत्र के कुटे बस्ती निवासी सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल प्रदीप कुमार की भी मौत हो गयी. इस घटना के बाद कुटे बस्ती के लोग मर्माहत हैं. शहीद का पार्थिव शरीर को बुधवार को लाया जाना था, लेकिन किसी कारणवश नहीं लाया जा […]

रांची: मंगलवार को छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में रांची स्थित नगड़ी थाना क्षेत्र के कुटे बस्ती निवासी सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल प्रदीप कुमार की भी मौत हो गयी. इस घटना के बाद कुटे बस्ती के लोग मर्माहत हैं. शहीद का पार्थिव शरीर को बुधवार को लाया जाना था, लेकिन किसी कारणवश नहीं लाया जा सका. परिजनों के अनुसार पार्थिव शरीर ट्रेन से टाटा नगर स्टेशन पर लाया जायेगा. उसके बाद सड़क मार्ग से रांची लाया जायेगा. इधर, घटना की सूचना मिलते ही बुधवार को शहीद के घर पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. लोग उनके परिजनों को सांत्वना दे रहे थे. इस बीच सूचना मिलने पर झाविमो नेता अजय शाहदेव भी नगड़ी के कुटे गांव पहुंचे और परिवार को ढ़ांढस बंधाया.

भगवान ने बहुत अन्याय किया : पत्नी
शहीद प्रदीप की पत्नी आशा रानी का कहना था कि अब उनकी तीन पुत्री और मां-पापा का ध्यान कौन रखेगा. भगवान ने बहुत अन्याय किया है. आशा देवी ने कहा कि उसके पति 12 जनवरी को रांची से छत्तीसगढ़ गये थे. कहा था 20 वर्ष से अधिक नौकरी कर ली है. अब झारखंड में ही पोस्टिंग कराने की कोशिश करूंगा.

देश सेवा में गयी पिता की जान : पम्मी
प्रदीप कुमार की पुत्री पम्मी और प्रिया संत थॉमस स्कूल में पढ़ती है. पम्मी का कहना था कि पापा हमें इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन सब कुछ खत्म हो गया. उसने कहा कि पापा ने देश सेवा में जान दी है.

थम नहीं रहे आंसू
हेड कांस्टेबल प्रदीप कुमार के परिवार में पिता महादेव मिरधा और मां सावित्री देवी के अलावा पत्नी आशा रानी और तीन पुत्री (पम्मी, प्रिया और प्राची) हैं. घटना के बाद माता-पिता व पत्नी की स्थिति खराब है. पत्नी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है.

गुस्से में थे पिता
पिता महादेव मिरधा का कहना था कि उनके पुत्र के पार्थिव शरीर को अब तक रांची नहीं लाया जाना दुखद है. कोई वीआइपी होता, तो एक दिन में शव आ जाता, लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी सरकार की ओर से गंभीरता नहीं बरती गयी है.

मिलनसार थे प्रदीप
घटना की सूचना मिलने पर प्रदीप के शुभचिंतक और बाहर में रहनेवाले परिजन पहुंचने लगे थे. मुहल्लेवालों का कहना था कि प्रदीप बहुत मिलनसार थे.

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