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जमशेदपुर : 11 साल की मोंद्रिता ने गुल्लक के पैसों से एक बार फिर बनवाया शौचालय

जमशेदपुर : जिस उम्र में बच्चों का मन चॉकलेट, खिलौने, वीडियो गेम्स और स्मार्टफोन से नहीं हटता, उस उम्र की एक बच्ची अपने गुल्लक के भरने का इंतजार करती है ताकि वह जरूरतमंदों के लिए शौचालय बनवा सके. जी हां, यहां बात हो रही है 11 साल की मोंद्रिता चटर्जी की. केंदाडीह, गोविंदपुर में बनवाया […]

जमशेदपुर : जिस उम्र में बच्चों का मन चॉकलेट, खिलौने, वीडियो गेम्स और स्मार्टफोन से नहीं हटता, उस उम्र की एक बच्ची अपने गुल्लक के भरने का इंतजार करती है ताकि वह जरूरतमंदों के लिए शौचालय बनवा सके. जी हां, यहां बात हो रही है 11 साल की मोंद्रिता चटर्जी की.

केंदाडीह, गोविंदपुर में बनवाया पहला सामुदायिक शौचालय

पिछले साल मुख्यमंत्री रघुवर दास के हाथों पुरस्कृत हुईं मोंद्रिता, पूर्वी सिंहभूम की स्वच्छता चैंपियन चुनी जा चुकी हैं. माेंद्रिता ने यह सम्मान जमशेदपुर प्रखंड के छोटा गोविंदपुर पंचायत के केंदाडीह गांव में सामुदायिक शौचालय बनवाने के लिए पाया. इस शौचालय के निर्माण पर 24 हजार रुपये का खर्च आया था.

हलुदबनी के टाटानगर सत्यायतन आश्रम में दूसरा शौचालय

अपने दूसरे प्रयास के तहत टेल्को के हिलटॉप स्कूल की कक्षा सात की छात्रा मोंद्रिता ने अपने गुल्लक से निकले रुपये खर्च कर जमशेदपुर के परसुडीह हलुदबनी स्थित टाटानगर सत्यायतन मंदिर में शौचालय का निर्माण कराया. यह एक आश्रम सह कार्यक्रम स्थल है, जहां बच्चे नृत्य और गाना सीखने आते हैं. 19 हजार रुपये के खर्च से इस स्कूल में दो शौचालय और एक स्नानागार बनाया गया है.

बचत करना शौक है

मोंद्रिता टेल्को के रिवर व्यू इंक्लेव में रहने वाले अमिताभ चटर्जी और स्वीटी चटर्जी की इकलौती बेटी है. अमिताभ चटर्जी आदित्यपुर स्थित मेडिट्रिना अस्पताल के निदेशक हैं. मोंद्रिता की मां स्वीटी चिन्मया भारती टेल्को स्कूल में अध्यापिका हैं. मोंद्रिता बताती हैं कि बचत करना उसका शौक है. वह अपने पिता से रुपये लेकर इसकी बचत करती हैं.

जरूरतमंद बच्चों के लिए एक कोशिश

मोंद्रिता बताती है कि केंदाडीह गांव में सामुदायिक शौचालय बनवाने के कुछ दिनों बाद वह अपने पिता के साथ हार्ट चेक-अप कैंप में शामिल होने के लिए शहर से 10 किमी दूर स्थित सत्यायतन मंदिर गयी थी. वहां जाकर मैंने जाना कि उस आश्रम में आस-पास के बच्चे योग, नृत्य और शास्त्रीय संगीत सीखने आते हैं. मोंद्रिता आगे बताती हैं, मुझे मालूम हुआ कि इस जगह पर कोई शौचालय नहीं है. तब मैं समझ चुकी थी कि मुझे क्या करना था.

मिला परिवार का साथ

मैंने पापा को अपने विचार से अवगत कराया और पिछली बार की तरह इस बार भी उन्होंने मुझे इस काम के लिए प्रोत्साहित किया. मेरे परिवारवालों और रिश्तेदारों ने भी इस काम के लिए मेरा गुल्लक भरने में मेरी मदद की़ जल्द ही मेरे गुल्लक में 19 हजार रुपये इकट्ठे हो गये. इसके अलावा, टाटा टेक्नोलॉजीज की ओर से हमें 9 हजार रुपये का सहयोग मिला. इस माह की शुरुआत में शौचालय निर्माण का काम शुरू हुआ. मोंद्रिता आगे बताती है, श्रमिकों के सहयोग से शौचालय जल्द ही बनकर तैयार हो गया, जिसका उद्घाटन बीते सोमवार को संपन्न हुआ.

350 बच्चों को होगा लाभ

सत्यायतन मंदिर आश्रम के वरिष्ठ सदस्य राजेश रॉय के अनुसार, नवनिर्मित शौचालय आकार में बेहतर और सुव्यवस्थित हैं. इससे यहां आनेवाले 350 बच्चों, जिनमें लड़कियों की संख्या आधे से अधिक होगी, को काफी सुविधा होगी. राजेश आगे बताते हैं, शौचालय बन जाने से वे छात्राएं खुश हैं जो शौचालय के अभाव में आश्रम की कक्षाओं में शामिल होने से कतराती थीं.

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