हालांकि पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पुलिस का बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचना उद्देश्य नहीं है. यह सही है कि वहां पीने लायक पानी नहीं है. जवानों को वहां भेजने से पहले पानी की व्यवस्था की गयी है. जवानों को दूर से पानी पहुंचाया जा रहा है. हां, कई बार पानी पहुंचने में विलंब हो जाता है. इन सबके बावजूद अब यह आशंका जतायी जाने लगी है कि गरमी और पानी के संकट के कारण ऑपरेशन क्लीन को रोका जा सकता है.
इधर, एक सूत्र ने बताया कि ऑपरेशन क्लीन की शुरुआत भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य अरविंद जी और केंद्रीय कमेटी सदस्य सुधाकरण और उसके दस्ते को घेर कर मार गिराने के लिए की गयी. बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों को खदेड़ना भी उद्देश्य है. यही कारण है कि ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ पुलिस को भी शामिल किया गया. ऑपरेशन शुरू होने के बाद पहले सीआरपीएफ के डीजी और उसके बाद गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा सलाहकर के विजय कुमार ने झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की. हेलिकॉप्टर से बूढ़ा पहाड़ का जायजा भी लिया. रणनीति बनायी. ऑपरेशन की शुरुआत होने के बाद भाकपा माओवादी के इन दोनों बड़े नेता के साथ-साथ उनके दस्तों और अन्य नक्सली कमांडरों के संबंध में भी पुलिस व खुफिया एजेंसियों को सूचनाएं नहीं मिल रही हैं. इसकी बड़ी वजह माओवादियों द्वारा मोबाइल का इस्तेमाल बंद किया जाना बताया जा रहा है.