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1000 करोड़ की चिट फंड ठगी पर परदा

।। शकील अख्तर ।। – देवघर की अलकेमिस्ट इंफ्रा कंपनी का मामला – सरकारी जांच के बाद कंपनी के दफ्तर किये गये थे सील – मामला हाइकोर्ट तक पहुंचा, कंपनी ने दायर की थी याचिका – हाइकोर्ट ने सरकार से शपथ दायर करने को कहा था – सरकार ने कंपनी को दे दी याचिका वापस […]

।। शकील अख्तर ।।

– देवघर की अलकेमिस्ट इंफ्रा कंपनी का मामला

– सरकारी जांच के बाद कंपनी के दफ्तर किये गये थे सील

– मामला हाइकोर्ट तक पहुंचा, कंपनी ने दायर की थी याचिका

– हाइकोर्ट ने सरकार से शपथ दायर करने को कहा था

– सरकार ने कंपनी को दे दी याचिका वापस लेने की अनुमति

– 27 नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ दर्ज करायी गयी थी प्राथमिकी

रांची : राज्य में हुए 1000 करोड़ रुपये के चिट फंड की ठगी के मामले पर परदा पड़ गया है. राज्य सरकार ने देवघर स्थित अलकेमिस्ट इंफ्रा नामक कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की थी. कंपनी के दफ्तर को सील किया था. यह कंपनी एक राजनीतिज्ञ की बतायी जाती है. मामला हाइकोर्ट तक पहुंचा था. हाइकोर्ट ने सरकार से इस मामले में शपथ पत्र दाखिल कर की गयी कार्रवाई की जानकारी देने का आदेश दिया था. पर शपथ पत्र दाखिल करने के बजाय कंपनी को अपनी याचिका याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

कोर्ट में ठगी का मामला बताया था : असम के निगरानी विभाग द्वारा चिट फंड कंपनियों के सिलसिले में सूचना दिये जाने के बाद राज्य सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की थी और उनके दफ्तरों को सील कर दिया था. देवघर में अलकेमिस्ट इंफ्रा नामक कंपनी को भी सील किया गया था. सरकार की इस कार्रवाई के बाद कंपनी ने हाइकोर्ट में याचिका दायर आरोप लगाया कि सरकार उसे परेशान कर रही है.

याचिका में राज्य सरकार, केंद्र सरकार और सेबी को प्रतिवादी बनाया गया था. न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ में इस याचिका की सुनवाई हुई. केंद्र सरकार की तरफ से मोख्तार खान और सेबी की तरफ से पूर्व महाधिवक्ता अनिल कुमर सिन्हा ने अपना पना पक्ष रखा.

इन दोनों अधिवक्ताओं पक्ष रखते हुए कहा गया था कि यह गरीबों से लिये गये 1000 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का मामला है.

अदालत ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था वह अदालत में शपथ पत्र दायर कर यह बतायें कि अपीलकर्ता कंपनी (अलकेमिस्ट)और उसके निदेशकों के खिलाफ कितनी प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

यह भी बतायें कि प्राथमिकी के आलोक में जांच की प्रगति क्या है? अदालत ने अलकेमिस्ट को निर्देश दिया था कि वह अपने निदेशकों का नाम बताये. यह भी बताये कि कंपनी और उसके किन- किन निदेशकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तिथि आठ जुलाई 2013 तय की.

अदालत को कार्रवाई की जानकारी नहीं दी : आठ जुलाई को यह मामला मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति जया राय की पीठ में सुनवाई के लिए लिस्ट हुआ. अलकेमिस्ट कंपनी ने न्यायालय के आदेश के आलोक में शपथ पत्र दायर करने के बदले अपना याचिका वापस लेने की बात कही. सरकार की ओर से भी कंपनी के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जानकारी देने के बदले यह कहा गया कि उसे याचिका वापस लेने पर कोई आपत्ति नहीं है.

प्राथमिकी में कंपनी पर लगाये गये आरोप

सरकार के निर्देश पर देवघर के तत्कालीन एसडीओ ज्योति सामंता ने अलकेमिस्ट सहित 27 नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें इन कंपनियों पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 193()एक्ट नं-2 ऑफ 1934) की धारा 58बी, द सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया एक्ट 1992(एक्ट न-15 ऑफ 1992) की धारा 15(ए), 15(सी), 15(डी), 15(इ), 15(एफ), 15(जी), 15(एच), 15(एचए), 15(एचबी), द कंपनी एक्ट 1956 की धारा 59, द प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 8 एवं 10, प्रीवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रींग एक्ट 2002 की धारा 4 के उल्लंघन के आरोप लगाये गये हैं.

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