रेलवे के टिकट काउंटरों से टिकट लेना किसी युद्ध लड़ने से कम मुश्किल काम नहीं है. लंबी लाइन और घंटों तक उबाऊ इंतजार. लाइन में खड़े लोगों की तू-तू-मैं-मैं. हर आधे घंटे के बाद टिकट काउंटर पर होता हंगामा. यह सब सुनने-ङोलने के बाद जब आपका नंबर आता है, तो पता चलता है कि टिकट वेटिंग में है.
टिकट का वेटिंग नंबर भी बताने में बुकिंग क्लर्क बेरुखी से पेश आते हैं. पीछे खड़े लोगों की बेताबी देख कर किसी और दिन की ट्रेन की स्थिति मालूम करने की इच्छा भी नहीं होती. तब लगता है कि बेकार ही घंटों लाइन में खड़े रह कर मगजमारी की. इससे तो अच्छा होता कि मुहल्ले के ही टिकट एजेंट के पास चले जाते. पैसे थोड़ा ज्यादा लेता, लेकिन टिकट को कन्फर्म देता. आमलोगों के मन में यही घर कर गया है. यही वजह है कि टिकट एजेंटों का धंधा फल-फूल रहा है. इन एजेंटों के बहाने रेलवे के बुकिंग क्लर्क मलाई चाट रहे हैं. आमलोगों को परेशानी इनके लिए अवैध कमाई का जरिया बन गया है. रेल टिकटों के चल रहे गोरखधंधे पर प्रभात खबर संवाददाता ने खोजपूर्ण रिपार्ट तैयार की है. पेश है रिपोर्ट की पहली किस्त :
रांची: रांची और हटिया रेलवे स्टेशन के आरक्षण काउंटर पर अब ट्रेन का कन्फर्म टिकट नहीं मिलता है. ट्रेन की कन्फर्म टिकट मिलने का नया ठिकाना है जगह-जगह खोले गये ट्रैवल एजेंसी के दफ्तर. कन्फर्म टिकट अब सिर्फ ट्रैवल एजेंसी में बैठनेवाले टिकट एजेंटों के पास ही मिलता है. टिकट एजेंटों ने रेलवे स्टेशन समेत रेलवे के सभी टिकट रिजर्वेशन काउंटर पर बैठनेवाले बुकिंग क्लर्को से जबरदस्त सेटिंग कर रखी है. प्रति कन्फर्म टिकट रिजर्वेशन पर निर्धारित कमीशन लेकर बुकिंग कलर्क एजेंटों को कन्फर्म टिकट देते हैं, जबकि काउंटर पर खड़े आम व्यक्ति द्वारा टिकट से संबंधित किसी सवाल का जवाब तक ठीक से नहीं देते हैं.
एक टिकट पर पांच रुपये से हजार रुपये तक की कमाई
ट्रेन के कन्फर्म टिकट पर बुकिंग क्लर्क एजेंटों से पांच रुपये से पांच हजार रुपये तक कमीशन लेते हैं. स्लीपर क्लास का रिजर्वेशन देने के एवज में एजेंटों को प्रति टिकट पांच से 10 रुपये तक चुकाने होते हैं. वहीं, एसी क्लास के रिजर्वेशन के लिए बुकिंग क्लर्क प्रति टिकट 20 से 50 रुपये (एसी थ्री, टू और फस्र्ट क्लास के हिसाब से) तक वसूलते हैं. एजेंट टिकट की क्लास के मुताबिक 30 से 100 रुपये तक का मुनाफा कमाते हुए टिकट यात्री तक पहुंचा देता है. वहीं, तत्काल का टिकट देने के लिए बुकिंग क्लर्क 500 से 1000 रुपये प्रति टिकट तक एजेंटों से वसूल करता है. इसी वजह से एजेंट तत्काल में लिये गये टिकटों के लिए 1500 रुपये तक चार्ज करते हैं.
काउंटर पर हमेशा मिलेगी हिसाब से ज्यादा राशि
बुकिंग क्लर्क को कालाबाजारी से डर नहीं है. वे टिकट खिड़की से ही कन्फर्म टिकट एजेंटों को बेचते हैं. टिकट पर अपना कमीशन जोड़ कर पैसे भी लेते हैं. किसी भी समय रेलवे स्टेशन या दूसरे आरक्षण काउंटरों में छापामारी कर बुकिंग क्लर्क के गल्ले में बेचे गये टिकटों के हिसाब से ज्यादा राशि पकड़ी जा सकती है. काउंटरों पर सबसे सामने खड़े रहने वाले तीन-चार लोग एजेंटों के कर्मचारी होते हैं. तत्काल का टिकट लेने के लिए एजेंट के कर्मचारी देर रात या अहले सुबह से ही लाइन बना लेते हैं. काउंटर खुलने पर पहला टिकट उनका ही बनाया जाता है. बुकिंग क्लर्क सभी एजेंटों और उनके कर्मचारियों को पहचानते हैं. वे काउंटर से टिकट की कुल कीमत में अपना कमीशन जोड़ कर पैसे वसूल करते हैं.
रेलवे के टिकट काउंटर पर नहीं लगने दिया सीसीटीवी
बुकिंग क्लर्को के रैकेट ने रेलवे आरक्षण काउंटर में क्लोज सर्किट टीवी नहीं लगने दिया. टिकट की कालाबाजारी की सूचना मिलने के बाद रेलवे के अधिकारियों ने आरक्षण काउंटर पर सीसीटीवी लगाने का आदेश दिया था. सुरक्षा की दृष्टि से भी सीसीटीवी की उपयोगिता बतायी गयी थी. परंतु, सीसीटीवी के कारण रोज टिकट लेनेवाले एजेंटों और उसके कर्मचारियों की पहचान हो जाती, जिससे बुकिंग क्लर्को का धंधा भी चौपट हो सकता था. इसी वजह से क्लर्को ने रेलवे के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर सीसीटीवी लगाने की योजना को सफल नहीं होने दिया. हालांकि आधिकारिक रूप से पूछे जाने पर रेल अधिकारी लगातार यही कहते हैं कि आरक्षण काउंटरों पर सीसीटीवी जरूर लगायी जायेगी.