जमशेदपुर: जीवन में सपने तो सभी देखते हैं लेकिन उसे पूरा करने का जोश और जज्बा बहुत कम लोगों में ही देखा जाता है. उसी तरह कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने शौक को पूरा करने के लिए अपनी कमाई का बड़ा से बड़ा हिस्सा खर्च करने में तनिक भी हिचक महसूस नहीं करते.
ऐसे ही महात्वाकांक्षी व शौकीन शख्सियतों में एक नाम निरूप मोहंती का है. श्री मोहंती टाटा स्टील के पूर्व जीएम (एचआरआइआर)हैं तथा शहर के शौकीन जोड़ों (निरूप मोहंती एवं रुपा मोहंती) में इनकी एक अलग पहचान है.
जीवन में ढेर सारी उपलब्धियां हासिल कर चुके निरूप का शौक और सपना था कि उनका अपना हवाई जहाज हो. यह सपना उन्होंने 63 साल की उम्र में पूरा किया है. उन्होंने करीब 1.50 करोड़ रुपये के ‘सेसना 172 स्काइहॉक’ नामक हवाई जहाज खरीदी है. इसे सोनारी एयरपोर्ट में रखा गया है. खुद पायलट रहे निरूप मोहंती ने अपने जैसे पायलट तैयार करने के लिए हवाई जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग देने वाली संस्था अलकेमिस्ट एविएशन को अपने हवाई जहाज का इस्तेमाल करने की छूट दी है. पहले से तीन सिंगल इंजीन, एक डबल शीटर सेसना 152 और मल्टी इंजीन पाइपर सेनेका पीए 34 से ट्रेनिंग देने वाली अलकेमिस्ट एविएशन को नया विमान मिलने से कंपनी प्रबंधन काफी खुश है.
2011 से लाइसेंस का चक्कर लगाना पड़ा
निरूप मोहंती ने अपने सपने को पूरा करने के लिए अक्तूबर 2011 में नागर विमानन विभाग को आवेदन दिया था. अफसरशाही और क्लियरेंस के चक्कर में करीब दो साल तक यह मामला लटका रहा और अंतत: 2013 में इसका क्लियरेंस मिल पाया. अलीगढ़ से इस नये हवाई जहाज को जमशेदपुर लाया गया है और अलकेमिस्ट एविएशन के हैंगर में रखा गया है.
कौन हैं निरूप मोहंती
टाटा स्टील के पूर्व जीएम एचआरआइआर
कॉमर्शियल और प्राइवेट पायलट लाइसेंस होल्डर हैं
वे और उनकी पत्नी रूपा मोहंती अपने शौक के लिए जाने जाते हैं
इंग्लैंड के नार्थ लंकाशायर स्थित सैंडटोफ्ट एयरफील्ड में जेट प्रोवोस्ट विमान चलाने वाले पहले भारतीय सिविलियन बने
मिलिट्री एयरक्राफ्ट की उड़ान भरने वाले पहले निजी व्यक्ति बने
भुवनेश्वर फ्लाइंग क्लब के सदस्य हैं
1976 से वे और उनकी पत्नी पायलट के तौर पर निजी उड़ान भरते रहे हैं
ऑस्ट्रेलिया में होने वाले ग्रेट आउटबैक एयर नेविगेशन एडवेंचर 1997 में भाग लेने वाले पहले एशियाई बने
क्या है हवाई जहाज की खासियत
सेसना 172 स्काइहॉक के नाम से यह हवाई जहाज जाना जाता है
सफलतम सिविल एयरक्राफ्ट के रूप में इसकी पहचान है
एडवांस ट्रेनिंग व चार्टर फ्लाइट के लिए अमेरिका ने इसका निर्माण कराया था, जो सबसे सफल रहा
स्टेबल एविएशन, जीपीएस, डय़ूल नेविगेशन व कम्यूनिकेशन सिस्टम से सुसज्जित
वर्ष 1955-1956 के निर्माण के बाद से इस हवाई जहाज के 43 हजार से अधिक मॉडल बिक चुके हैं
सपना सच हुआ, नये पायलट तैयार हों
बचपन से पायलट बनने के साथ ही अपना हवाई जहाज हो, यह मेरा बचपन का सपना था, जो अब साकार हुआ है. इस सपने को साकार करने के साथ ही मैं चाहता हूं कि नये पायलट तैयार किये जायें, जिसके लिए हमने कोशिश की है. -निरूप मोहंती