स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर 30 नवंबर को झारखंड बंद रहा. इस दौरान जम कर उत्पात हुआ. पुलिस की मौजूदगी में सड़कों पर निजी वाहनों, दुकानों पर हमले किये गये. शीशे तोड़े गये. पुलिस मूकदर्शक और असहाय बनी रही. एक दिन पहले पुलिस ने लंबे-चौड़े दावे किये थे. सब धरे के धरे रह गये. दोषी झारखंड के नेता हैं, प्रमुख राजनीतिक दल हैं, जिनके कारण ये हालात पैदा हुए हैं. इसका खामियाजा जनता भुगत रही है. 13 साल में झारखंड पर हर दल ने शासन किया, कई सरकार बनी, लेकिन किसी ने स्थानीय नीति नहीं बनायी.
रांची: स्थानीय नीति की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों की ओर से शनिवार को कराया गया झारखंड बंद राज्य के कई इलाकों में असरदार रहा. रांची में बंद समर्थकों ने जम कर उत्पात मचाया. कई वाहनों को शीशे तोड़े. आम लोगों को पीटा. उनके साथ र्दुव्यवहार किया. यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ. पुलिस मूकदर्शक बनी रही. न ही बंद समर्थकों को रोका और न ही आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करायी. करमटोली चौक पर पुलिस ने सुरक्षा की गुहार लगा रहे लोगों की मदद करने से साफ इनकार कर दिया. पुलिस ने लोगों से कहा कि उन्हें सड़क पर खड़ा रहने का आदेश दिया गया है. कार्रवाई करने का आदेश मिलेगा, तो कार्रवाई करेंगे.
बंद का आह्वान झारखंड दिशोम पार्टी, झारखंड जनाधिकार मंच, आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी जनपरिषद, आदिवासी मूलवासी छात्र मोरचा, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच सहित अन्य संगठनों ने किया था.
शांतिपूर्ण बंद का किया था वादा : रांची में राजभवन के पास बंद समर्थकों ने स्पेशल ब्रांच के एसपी निरंजन प्रसाद के सरकारी वाहन के शीशे तोड़ दिये. पंडरा पुल जाम कर, कई वाहनों को क्षतिग्रस्त किया. करमटोली चौक, आदिवासी हॉस्टल रोड, रेडियम चौक, कांके रोड, लालपुर, किशोर सिंह यादव चौक पर बंद समर्थकों का आतंक दिन के एक बजे तक जारी रहा. बंद समर्थकों ने शुक्रवार को पुलिस के साथ बैठक कर वादा किया था कि वह शांतिपूर्ण तरीके से सड़क पर निकलेंगे. किसी के साथ जबरदस्ती और वाहनों में तोड़-फोड़ नहीं करेंगे. बंद के दौरान कहीं कोई गड़बड़ी नहीं होगी. पर समर्थक जब बंद कराने सड़कों पर बंद कराने उतरे तो पूरी तरह हिंसक हो गये. पुलिस ने भी उनके खिलाफ किसी तरह की सख्ती नहीं बरती.
राज्य के कई इलाकों में सड़क जाम : बंद का प्रभाव बोकारो, दुमका, जामताड़ा और गोड्डा में भी दिखा. बंद समर्थकों ने इन इलाकों में घंटों सड़क जाम कर दी. कई वाहनों को क्षतिग्रस्त किया, पर इनके खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. कई इलाकों में छोटे-बड़े वाहन नहीं चले. बाजार और दुकानें बंद रहे. जमशेदपुर में टाटा-हाता मुख्य मार्ग पर करमडीह चौक से सालखन मुरमू को 150 समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि बाद में सभी को छोड़ दिया गया.
पुलिस का दावा फेल
सिटी एसपी मनोज रतन चौथे ने बंद से पहले कहा था बंद के दौरान किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जायेगा. उपद्रव करने या तोड़फोड़ करनेवालों के खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी. रांची में चौराहों पर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी की जायेगी, ताकि उपद्रव करनेवालों की पहचान की जा सके.
हकीकत : बंद के दौरान पुलिस पूरी तरह मूकदर्शक बनी रही. चौक -चौराहों पर पुलिस बल तैनात जरूर किये गये थे. पर तोड़-फोड़ होने और लोगों के साथ र्दुव्यवहार होने पर भी कोई पुलिसकर्मी आगे नहीं आया. कचहरी चौक, अलबर्ट एक्का चौक और रेडियम रोड चौक पर वीडियोग्राफी की गयी.
जिन्होंने कराया था बंद
झारखंड दिशोम पार्टी, झारखंड जनाधिकार मंच, आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी जनपरिषद, आदिवासी मूलवासी छात्र मोरचा, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच सहित अन्य संगठन.
आवश्यक सेवाओं को भी नहीं छोड़ा, प्रेस के लोगों को भी पीटा
दवा दुकानें भी नहीं खुली. दूध व बाराती वाहन को भी नहीं छोड़ा. करमटोली में प्रेस के वाहन पर हमला किया.