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एसिड पीड़ित सोनाली मुखर्जी को मिलेगी नौकरी

रांची: राज्य सरकार ने एसिड पीड़ित सोनाली मुखर्जी को नौकरी देने का फैसला लिया है. गृह विभाग ने कागजी कार्यवाही पूरी कर ली है. कैबिनेट की सहमति के बाद उसे तृतीय श्रेणी पद पर नियुक्त कर लिया जायेगा. उसे बोकारो जिला प्रशासन के अधीन नियुक्त किया जायेगा. धनबाद में सोनाली मुखर्जी पर वर्ष 2003 में […]

रांची: राज्य सरकार ने एसिड पीड़ित सोनाली मुखर्जी को नौकरी देने का फैसला लिया है. गृह विभाग ने कागजी कार्यवाही पूरी कर ली है. कैबिनेट की सहमति के बाद उसे तृतीय श्रेणी पद पर नियुक्त कर लिया जायेगा. उसे बोकारो जिला प्रशासन के अधीन नियुक्त किया जायेगा.

धनबाद में सोनाली मुखर्जी पर वर्ष 2003 में एसिड से हमला किया गया था. यह घटना उस वक्त हुई थी, जब वह छत पर सोयी थी. इसमें उसका चेहरा जल गया था. शरीर के कुछ हिस्से भी प्रभावित हुए थे. इस सिलसिले में तापस मित्र, संजय पासवान और ब्रह्नादेव हाजरा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने इनमें से दो अभियुक्तों को नौ साल की जेल की सजा दी थी. फैसले के खिलाफ अपील में हाइकोर्ट ने अभियुक्तों को जमानत दी थी. सोनाली ने झारखंड सरकार से नौकरी की मांग की थी. राष्ट्रपति शासन में भी राज्यपाल से नौकरी की मांग की थी.

सोनाली मुखर्जी : जिंदादिली की मिसाल

केबीसी में लारा दत्ता के साथ संयुक्त रूप से खेलते हुए 25 लाख रुपये जीत चुकी
छात्र जीवन में सोनाली मुखर्जी एनसीसी कैप्टन, कॉलेज की टॉपर व हंसती-खेलती एक आम लड़की थी. लेकिन आज सोनाली मुखर्जी खास युवतियों की जमात में शामिल हो चुकी है. देश भर में सोनाली तब सुर्खियों में आयी, जब उसने प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा-मृत्यु की गुहार लगायी. एक समय अपने हालात से तंग आकर इच्छा-मृत्यु की गुहार लगाने वाली सोनाली आज जिंदादिली की मिसाल है. सोनाली की हिम्मत के कायल बिग बी अमिताभ बच्चन भी हो चुके हैं. वह अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति के स्पेशल प्रोग्राम में हॉट सीट पर भी बैठ चुकी है.

मूल रूप से बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के धधकिया गांव की रहनेवाली सोनाली की जिंदगी में 11 साल पहले एक भयानक तूफान आया. वह 22 अप्रैल, 2003 की भयावह रात थी, जब पड़ोस के तीन लड़कों ने सोनाली पर तब तेजाब फेंक दिया, जब वह अपने पिता चंडीदास मुखर्जी व बहन के साथ घर की छत पर सो रही थी. तब सोनाली की उम्र 17 साल थी. तेजाब के छींटे उसकी छोटी बहन और पिता पर भी गिरे, लेकिन सोनाली 72 प्रतिशत जल गयी.

इस हादसे में उसका चेहरा पूरी तरह से वीभत्स हो गया. शायद ही शरीर का कोई हिस्सा हो, जो जला नहीं. उसकी दोनों आंखों की रोशनी जा चुकी है. जिन लड़कों ने सोनाली पर तेजाब फेंका, वे अक्सर उसके साथ छेड़खानी करते थे. घटना के 20 दिन बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया. मामला धनबाद की जिला अदालत में चला. घटना के छह महीने बाद इस सदमे से सोनाली के दादा की मौत हो गयी, जबकि मां अब भी गुमसुम है. वाकये के तीन साल बाद वर्ष 2006 में धनबाद जिला कोर्ट ने आरोपियों में से दो को नौ साल की सजा सुनाई. एक आरोपित नाबालिग होने के कारण बच गया. आरोपित सजा के खिलाफ हाइ कोर्ट गये, जहां वर्ष 2007 में उन्हें जमानत मिल गयी. जमानत पर बाहर आते ही वे फिर सोनाली के परिवार धमकाने लगे. इलाज के बोझ में इस परिवार का सब कुछ लुट गया. छह महीने में नयी दिल्ली में सोनाली की छह सजर्री हो चुकी है. अगले एक साल में चार-पांच सर्जरी होनी है. इस पर करीब 30 लाख खर्च आयेगा.

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