रांची: नक्सल प्रभावित इलाकों में वीआइपी खास कर राजनेताओं की सुरक्षा के लिए नियम में परिवर्तन किये जायेंगे. किसी नेता के कार्यक्रम के दौरान या रास्ते में उन पर नक्सली हमले की पूर्व सूचना मिलने के बाद पुलिस उन्हें नहीं रोकेगी. उनके आवागमन का रूट भी बदलने से परहेज किया जायेगा. पुलिस का मानना है कि ऐसा करने से नक्सलियों का मनोबल बढ़ता है. हमले की पूर्व सूचना के बाद अब पुलिस नेताओं की सुरक्षा और बढ़ा कर उसी रास्ते से ले जायेगी.
गृह मंत्रालय की सलाह पर उठाया कदम : केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह पर राज्य में वीआइपी की सुरक्षा को और मजबूत बनाया जा रहा है. वीआइपी सिक्यूरिटी मॉनिटरिंग सेल का गठन कर लिया गया है. स्पेशल ब्रांच के डीआइजी इसके नोडल अफसर बनाये गये हैं.
यह सेल हर दिन वीआइपी के कार्यक्रमों का ब्योरा लेती है. इसकी शाखा हर जिले में है, जो 24 घंटे काम कर रही है. वीआइपी की मूवमेंट पर नजर रख रही है. एक थाना क्षेत्र से दूसरे थाना क्षेत्र में पहुंचने में लगनेवाले समय पर नजर रख पुलिस को अलर्ट करती है. छोटे नेताओं की सुरक्षा के लिए अलग से रणनीति बनायी जा रही है.
राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाने पर जोर : सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने के साथ-साथ राजनीतिक गतिविधियां भी बढ़ायी जानी चाहिए. पिछले माह नक्सल प्रभावित जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ हुई बैठक में गृह मंत्रलय के अधिकारियों ने राज्यों की पुलिस को राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया था. कहा था कि राजनीतिक गतिविधि बढ़ाने के लिए नेताओं व कार्यकर्ताओं में सुरक्षा का विश्वास लाना जरूरी है. इसके बाद झारखंड पुलिस नक्सल प्रभावित इलाकों में राजनीतिक दलों के छोटे कार्यक्रमों को भी सुरक्षा उपलब्ध कराने पर ध्यान दे रही है. जिला स्तर पर अलग से तैयारी की जा रही है.