रांची: परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के जवाब पर नाराजगी जतायी. केंद्र के रुख पर फटकार लगाते हुए दोबारा जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कार्यवाहक चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से पूछा है कि 2001 की जनगणना के आधार पर पूरे देश में परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू है, पर झारखंड में इसे लागू क्यों नहीं किया गया. क्या 2001 की जनगणना गलत है या फिर क्या परिसीमन से संबंधित कोई मामला किसी न्यायालय में लंबित है. कोर्ट ने सभी तथ्यों के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
आपत्ति कोई आधार नहीं
खंडपीठ ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से मौखिक रूप से पूछा कि क्या 1971 का परिसीमन 2026 तक लागू रहेगा. इसका क्या औचित्य है. कानून लागू करने में आपत्ति का कोई आधार नहीं है. 2026 में भी आपत्ति आयेगी, तो क्या कानून लागू नहीं करेंगे? कोई भी आपत्ति कानून लागू करने में बाधक नहीं बन सकती है. कानून में सुधार के लिए आपत्ति मांगी जाती है. खंडपीठ ने कहा : शब्दों के आधार पर बहस नहीं होती, तथ्य प्रस्तुत करें.
किसने दायर की है याचिका
प्रार्थी रामकुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर कर झारखंड में परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू करने के लिए केंद्र सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह, सरधु महतो व अन्य ने पैरवी की. केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता मो मोख्तार खान ने पक्ष रखा.