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सहयोगी दलों से बातचीत होगी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रिंट मीडिया से शुक्रवार शाम 6.30 बजे बात की. रिकार्डेड बातचीत में डोमिसाइल के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा : जिसका नाम खतियान में है, वही झारखंडी है. चाहे खतियान 32 का हो, 62 का हो या फिर 1800 का. रात 9.50 बजे मुख्यमंत्री ने अपने बयान में संशोधन किया. कहा […]

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रिंट मीडिया से शुक्रवार शाम 6.30 बजे बात की. रिकार्डेड बातचीत में डोमिसाइल के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा : जिसका नाम खतियान में है, वही झारखंडी है. चाहे खतियान 32 का हो, 62 का हो या फिर 1800 का. रात 9.50 बजे मुख्यमंत्री ने अपने बयान में संशोधन किया. कहा : स्थानीयता की नीति बनायी जायेगी. परंतु इसका आधार सहयोगी दलों व विधायकों से विचार-विमर्श के बाद तय होगा. इसके अलावा जितने भी नीतिगत मुद्दे हैं, सभी पर सरकार सहयोगी दलों को विश्वास में लेकर आगे बढ़ेगी. प्रस्तुत है बातचीत के अंश :

रांची: स्थानीय नीति बनेगी क्या स्थानीय नीति तो तय होनी ही चाहिए.
भूमि अधिग्रहण को लेकर समस्याएं हैं, विस्थापन की समस्या है. सरकार इन पर क्या सोचती है?
हमें सीएमपी पर चलना है. इतना कह सकता हूं कि इस राज्य में कोई भी भूमिहीन नहीं रहेगा. भूमि अधिग्रहण की नीति हो या पुनर्वास नीति, इसका समय-समय पर रिव्यू होना ही चाहिए. यह ऐसी नीति है कि समय के साथ समीक्षा होनी ही चाहिए. अभी सीएमपी पर बात हो रही है. कम समय है, सफर लंबा है. कई हर्डल्स को क्लीयर करना है.

भूमि अधिग्रहण को लेकर पूंजीपति भी परेशान हैं और रैयत भी. पूंजीपति भूमि लेने जाते हैं, भारी विरोध होता है. आखिर इसका हल क्या हो सकता है?
जब भूमि अधिग्रहण लोगों के समझ में आ जायेगा, तब समस्या का समाधान हो जायेगा. इसे ट्रांसपैरेंट-वे में लाना पड़ेगा. अब वो दिन नहीं, जो 1940 में था. उस समय सीधे-सादे लोग थे. लोग इतनी दूर तक अपनी बात एसेस नहीं कर पाये कि आगे जाकर हमारा नया जेनरेशन बहुत मुसीबत में फंसनेवाला है. ईमानदारी भी थी उस समय. उस समय उद्योगपति भी ईमानदारी की मिसाल थे. लेकिन अब तो भगवान भी मिल जायेंगे, लेकिन ईमानदारी मिलना मुश्किल है.

कोल स्कैम में झारखंड के भी कई अफसरों के शामिल होने की आशंका है, क्या कार्रवाई की जायेगी?

झारखंड में भी ऐसे लोग पकड़ायें, झारखंड को निजात मिलेगी. सरकार की तरफ से अफसरों को हिदायत दी गयी है कि उनके काम में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा. पर उनके काम से सरकार पर कोई उंगली नहीं उठनी चाहिए.

छोटे पदाधिकारियों पर तो कार्रवाई होती है, पर कभी बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती क्यों?

अब ऐसा नहीं होगा. इसमें आपका भी सहयोग चाहिए. आप लोग इसमें थोड़ा कम सहयोग देते हैं. आपकी नजरों में पिछली सरकार में ज्यादा अच्छा क्या था और बुरा क्या था?
गंठबंधन सरकार चलाना ही चैलेंज होता है. पर एक साथ सोच न मिले, तो मुश्किल होता है. पिछली बार हमने पदाधिकारियों से टाइम बांड काम कराने की कोशिश की थी. पर बहुत अच्छा परिणाम देखने को नहीं मिला. कई बार अखबारों में भी आया कि पदाधिकारी थोड़े गड़बड़ चल रहे हैं. वे भी व्यवस्था के एक अहम भूमिका में हैं और जब तक वे अपनी आत्म इच्छा के साथ काम नहीं करेंगे, सिर्फ फाइल में दस्तखत करने की ही जिम्मेवारी में रहेंगे, तो नहीं चलेगा. ये कमियां रही हैं. इन कमियों के बावजूद हमने व्यक्तिगत रूप से बेहतर करने का प्रयास किया. पूर्व के समय में चलाये जा रहे विभाग की स्थिति और मात्र डेढ़ साल के कार्यकाल में स्पष्ट अंतर दिखेगा.

आपको गद्दी मिल चुकी है, एक काम बतायें जो आप निश्चित रूप से करना चाहेंगे. एक काम से राज्य का भला हो सकता है. ऐसे सवाल न खड़ा किया जाये. एक काम से पूरे राज्य की प्राथमिकता तय नहीं की जा सकती. गंठबंधन सरकार की मजबूरी के कारण सरकार गलत निर्णय भी नहीं ले सकती.

कांग्रेस की प्राथमिकता है एनसीटीसी हो या फूड सिक्यूरिटी बिल हो, कई राज्यों में विरोध हो रहा है. आप क्या लागू करेंगे?
कौन राज्य क्या कर रहा है, इससे क्या मतलब है. हमारे राज्य में क्या बेहतर हो सकता है, वही करेंगे. जो अच्छे काम हैं, वे चलेंगे. जो बिना वजह हैं, वे बंद होंगे. अच्छा काम है, उसकी सराहना होनी चाहिए. बुरे काम हो, उसकी आलोचना होनी चाहिए. चाहे कोई भी हो.

कांग्रेस ने अपना वादा निभाया है, अब आपकी बारी है. 10-4 का फॉरमूला हो या दूसरी कोई और शर्त, क्या पूरी होंगी?

10-4 तो क्लीयर है. झामुमो जो कहता है करता है. इसमें कोई इफ या बट नहीं है.

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