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मजदूरी का भुगतान करना भी हुआ मुश्किल पैसे खत्म, मनरेगा का काम रुका

रांची: राज्य में मनरेगा का हाल बुरा है. मनरेगा मद की राशि खत्म हो गयी है. मनरेगा को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार ने अपने हिस्से की राशि भी खर्च कर दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस स्थिति से निबटने के लिए दो दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. […]

रांची: राज्य में मनरेगा का हाल बुरा है. मनरेगा मद की राशि खत्म हो गयी है. मनरेगा को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार ने अपने हिस्से की राशि भी खर्च कर दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस स्थिति से निबटने के लिए दो दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने झारखंड में मनरेगा के महत्व को रेखांकित करते हुए केंद्र से सहयोग करने का आग्रह किया है. मनरेगा आयुक्त राहुल पुरवार ने इस स्थिति से निबटने के लिए केंद्र सरकार से राशि की मांग की है.

केंद्र सरकार को यहां की पूरी स्थिति से अवगत कराया गया है. उन्होंने बताया है कि राज्य सरकार ने विशेष परिस्थितियों के लिए रखे गये रिवॉल्विंग फंड की राशि भी खर्च कर दी है. इससे मजदूरों को रोजगार मिलना तो दूर, उनको मजदूरी का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है. पूर्व का बकाया ही बढ़ गया है. योजनाओं का क्रियान्वयन भी रुक गया है. चालू योजनाएं भी बंद हो गयी हैं. सभी जिलों में मनरेगा मजदूरों की स्थिति बदहाल हो गयी है. सभी जिलों के उपायुक्तों ने मुख्यालय से राशि की मांग की है.

प्रतिबंध का विरोध करेगी राज्य सरकार

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मनरेगा में पूर्ण सहयोग का आग्रह किया है. साथ ही उन्होंने लिखा है कि कुछ जिलों में मनरेगा पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का राज्य सरकार विरोध करेगी. सुविधा संपन्न जिलों के गरीबों को इससे वंचित नहीं किया जा सकता. मनरेगा के तहत झारखंड में वर्ष 2013-14 में 4.4 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया गया था. इससे 17 लाख मनरेगा वर्कर्स को रोजगार मिला था. मनरेगा से झारखंड में एक लाख कुएं बने हैं. इससे किसानों को बड़ा लाभ मिला है. झारखंड सरकार केंद्र सरकार के सहयोग के बिना इस कार्यक्रम को कारगर नहीं बना सकती. लेबर-मेटेरियल रेशियो के बारे में मुख्यमंत्री ने लिखा कि यहां 2013-14 में मनरेगा की राशि का 70 फीसदी राशि मजदूरी में खर्च की गयी, जो 60:40 के रेशियो से ज्यादा है. अत: राज्य सरकार को इस संदर्भ में पूरी मदद की जरूरत है.

फंस गया है विभाग

इधर विभाग ने शुरू में 1605 करोड़ रुपये के बजट के मुताबिक काम करना शुरू कर दिया था. इसके तहत जिलों ने योजनाएं भी ली थी. बाद में बजट कम हुआ, तो योजनाएं फंस गयीं.

कहां से देंगे बेरोजगारी भत्ता

निबंधित मजदूर रोजगार की मांग कर रहे हैं, पर उन्हें रोजगार मुहैया कराना मुश्किल हो रहा है. रोजगार नहीं दे पाने की स्थिति में मनरेगा एक्ट के मुताबिक मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता देना होगा. इससे सरकार के समक्ष समस्या पैदा हो गयी है.

विभाग की बढ़ी देनदारी

विभाग के सामने देनदारी बढ़ती जा रही है. योजनाओं पर काम शुरू करा दिया गया था. अब योजनाओं पर हुए खर्च के भुगतान के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है. मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है. कुछ योजनाओं पर काम चल रहा है, जिससे देनदारी बढ़ रही है.

पैसा मांगा गया

मनरेगा आयुक्त राहुल पुरवार ने बताया कि राज्य के पास पैसा खत्म हो गया है. इससे परेशानियां हो गयी हैं. इसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. राज्य ने भी अपनी राशि खर्च कर दी है. ऐसे में केंद्र से पैसे की मांग की गयी है.

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