रांची: दुर्गा पूजा और विजया दशमी के अवसर पर राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गयी. पुलिस की व्यवस्था धरी की धरी रह गयी. लोग घंटों ट्रैफिक जाम में फंसे रहे. हालांकि ट्रैफिक सुचारु रखने के लिए पुलिस की ओर से जगह-जगह बैरिकेडिंग की गयी थी, लेकिन यह भी काम न आयी. सप्तमी से लेकर दशमी तक राजधानी की सड़कों पर वाहन लेकर निकलना परेशानी का सबब था.
ट्रैफिक सुचारु रखने के लिए प्रशासन की ओर से शहर में बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक भी लगायी गयी थी. इसके बावजूद राजधानी के विभिन्न मार्गो पर जाम लगा रहा. विशेष कर सप्तमी से लेकर नवमी तक कांटाटोली चौक से लेकर बूटी मोड़ तक परिवहन व्यवस्था बदहाल रही.
विजय दशमी के अवसर पर मोरहाबादी एवं अरगोड़ा में रावण एवं कुंभकर्ण के पुतलों के दहन के समय भारी जाम की स्थिति रही. मोरहाबादी में रावण दहन का कार्यक्रम समाप्त होते ही भीड़ अनियंत्रित हो गयी. सभी लोग जल्दी जाने के चक्कर में वाहन लेकर निकल पड़े. जिसका जिधर जी में आया, उधर से ही जाने लगा. सड़क पर ट्रैफिक पुलिस का कोई नियंत्रण नहीं था. हरमू- अरगोड़ा बाइपास में विजय दशमी के दिन वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था. वाहनों के परिचालन के जो दूसरे रूट निर्धारित किये गये थे. उन मार्ग में वाहनों की संख्या बढ़ जाने के कारण भी जाम की समस्या उत्पन्न हुई.
इन कारणों से हुई समस्या
दुर्गा पूजा के दौरान कांटाटोली से बूटी मोड़ की ओर बड़े वाहनों का परिचालन जारी रहा है. इस वजह से कांटाटोली से लेकर बूटी मोड़ तक जाम लगा रहा.
रावण दहन कार्यक्रम के बाद भीड़ के निकलने के लिए अलग- अलग रूट निर्धारित नहीं किये गये थे. इस वजह से जाम की समस्या उत्पन्न हो गयी.
विजया दशमी को लेकर पार्किग के लिए स्थल चिह्न्ति नहीं किये गये थे. अधिकांश गाड़ियां सड़क के किनारे ही खड़ी थी.
कई पूजा पंडालों में थी अफरा-तफरी
रांची . पटना के गांधी मैदान में रावण दहन के बाद मची भगदड़ में 32 लोगों की मौत से रांची पुलिस प्रशासन को सबक लेने की जरूरत है. रांची में भी दुर्गा पूजा पंडालों और रावण दहन कार्यक्रम में लाखों की संख्या में लोग जुटे. इस दौरान कई पूजा पंडालों में प्रशासनिक चूक दिखायी पड़ी. हमारे संवाददाता ने शहर के कई पंडालों का भ्रमण किया. शहर के सबसे व्यस्त पंडाल बकरी बाजार में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह फेल थी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बकरी बाजार पंडाल के आसपास कई छेड़खानी की घटनाएं हुईं. दर्शनार्थियों के आने व निकलने का रास्ता एक ही कर देने से काफी अफरा-तफरी का माहौल रहा.
शहर के कई पंडालों पर सुरक्षा के नाम पर सिर्फ होमगार्ड के दो जवान और कुछ पुलिस कर्मी थे. जिन पर सुरक्षा की पूरी जवाब देही थी. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल को बॉडी प्रोटेक्टर, हेलमेट, वाटर कैनन, अश्रु गैस एवं रबर की गोली आदि के साथ प्रतिनियुक्त किया जाना था. प्रशासन द्वारा सिर्फ अलबर्ट एक्का चौक पर ही इसे रिजर्व रखा गया था.
बकरी बाजार, कचहरी चौक, रातू रोड, कोकर में पंडाल तक पहुंचने और निकलने का मार्ग एक ही था. इस वजह वह इन स्थानों में भीड़ दूसरे स्थानों की अपेक्षा अधिक थी. लेकिन इन स्थानों पर भीड़ को सुरक्षित तरीके से बाहर निकलने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.