रांची: रिम्स के जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार की रात से इमरजेंसी एवं वार्ड में काम करना शुरू कर दिया. जूनियर चिकित्सकों के काम पर आने से चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है. सीनियर चिकित्सकों की पहल पर जूनियर डॉक्टरों ने काम करना शुरू किया है.
सीनियर चिकित्सकों ने रिम्स प्रबंधन को आश्वस्त किया है कि जूनियर डॉक्टर मेडिकल एथिक्स का पालन करेंगे एवं मरीजों से सौहार्दपूर्ण भाव रखेंगे. गौरतलब है कि सोमवार एवं मंगलवार को जूनियर चिकित्सकों ने विवाद व मारपीट के बाद मंगलवार की रात से काम करना बंद कर दिया था. सरकार ने अव्यवस्थित चिकित्सा सेवा को सुचारु करने के लिए 40 चिकित्सकों को रिम्स भेजा था.
महत्वपूर्ण वार्ड में परेशानी
रिम्स की अव्यवस्थित चिकित्सा सेवा का खमियाजा महत्वपूर्ण वार्ड में भरती मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. शुक्रवार को ट्रॉमा सेंटर में धनबाद निवासी रामेश्वर राम को राइस टयूब डालना था, लेकिन कोई नहीं आया. अंत में नर्सो ने राइस टयूब डाली. यही हाल मेडिसिन आइसीयू व अन्य वार्डो का है.
रिम्स में आधी हुई मरीजों की संख्या
रिम्स में अव्यवस्थित चिकित्सा सेवा के कारण मरीजों की संख्या क्षमता से आधी हो गयी है. अस्पताल में शुक्रवार को करीब 400 मरीज ही चिकित्सारत पाये गये. बेड की क्षमता 1089 के करीब है. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद से मरीजों की संख्या लगातार कम हो रही है. कई वार्ड में आधा दर्जन तो कई वार्ड में दो मरीज भरती है. मरीज एवं उनके परिजनों से पटा रहनेवाला रिम्स खाली-खाली दिख रहा है. पहले जिस वार्ड में बेड के लिए मारामारी होती थी, आज वहां बेड हैं, लेकिन मरीज नहीं है.
जल्द सुधर जायेगी स्थिति
विद्यार्थियों ने काम पर लौटने की बात कहीं है. अब चिकित्सा व्यवस्था में शीघ्र ही बदलाव दिखेगा. मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी.
डॉ एसके चौधरी, निदेशक रिम्स
शुक्रवार को 200 मरीजों ने छोड़ा अस्पताल
अस्पताल से मरीजों के छोड़ कर जाने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा. अस्पताल के विभिन्न वार्डो से करीब 200 मरीजों के छोड़ने की सूचना है. अस्पताल छोड़ने वाले मरीजों का कहना है कि सीनियर चिकित्सक ही अस्पताल से जाने की सलाह दे रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो दो से तीन दिन में अस्पताल पूरी तरह खाली हो जायेगा.