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गढ़वा में एक फीसदी भी रोपा नहीं

रांची: गढ़वा में चालू खरीफ के मौसम में सांकेतिक रोपा हो पाया है. यहां कुल 54 हजार हेक्टेयर में धान लगाये जाने का लक्ष्य था. इसमें कहीं-कहीं धान लगाया गया है. इस जिले में जून से अगस्त तक औसतन 779 मिमी बारिश होनी चाहिए. लेकिन, मात्र 209 मिमी ही बारिश चार अगस्त तक हो पायी. […]

रांची: गढ़वा में चालू खरीफ के मौसम में सांकेतिक रोपा हो पाया है. यहां कुल 54 हजार हेक्टेयर में धान लगाये जाने का लक्ष्य था. इसमें कहीं-कहीं धान लगाया गया है. इस जिले में जून से अगस्त तक औसतन 779 मिमी बारिश होनी चाहिए.

लेकिन, मात्र 209 मिमी ही बारिश चार अगस्त तक हो पायी. सामान्य से 70 फीसदी कम बारिश हुई है. गढ़वा में कृषि विभाग ने 26 हजार हेक्टेयर में मक्का लगाने का लक्ष्य रखा था. इसकी तुलना में 15 हजार हेक्टेयर में मक्का लगाया जा सका है. किसानों ने धान की खेती नहीं होता देख, दलहन और तेलहन खेतों में लगाया है. लक्ष्य का करीब 70 फीसदी दलहन और 55 फीसदी तेलहन लगाया गया है.

कुछ ऐसी ही स्थिति पलामू की है. पलामू में मात्र पांच फीसदी खेतों में धान लगाया जा सका है. जून से अगस्त तक पलामू में 755 मिमी बारिश होनी चाहिए थी. इसकी तुलना में मात्र 237 मिमी ही बारिश हो पायी है. यहां 47 हजार हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा गया था. इसकी तुलना में मात्र दो हजार हेक्टेयर में ही धान लगाया जा सका है. यहां लक्ष्य के 70 फीसदी खेतों में मक्का तथा 62 फीसदी खेतों में दलहन लगाया गया है.

बारिश सामान्य से मात्र 20 मिमी ही कम
राज्य में जुलाई में सामान्य से मात्र 20 मिमी ही कम बारिश हुई है. कईजिलों में तो जून-जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, हजारीबाग, कोडरमा, बोकारो, देवघर, पाकुड़ में सामान्य से अधिक बारिश हुई. वहीं रामगढ़ में सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश हुई है. राज्य में जून और जुलाई में सामान्यत: 523 मिमी बारिश होनी चाहिए. इसकी तुलना में 414 मिमी बारिश हो चुकी है. जुलाई माह में सामान्यत: 327 मिमी बारिश होनी चाहिए, जिसकी तुलना में 305 मिमी बारिश हुई.

राज्य में 44 फीसदी रोपा
पूरे राज्य में अब तक लक्ष्य का करीब 44 फीसदी रोपा हो गया है. नौ जिले में 30 फीसदी या इससे कम रोपा हो पाया है. नौ जिलों में चार अगस्त तक 50 फीसदी या इससे अधिक धान रोपा का काम हो गया है. राज्य में 1767 हजार हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा गया था. अब तक 784 हजार हेक्टेयर में धान लगाया जा चुका है. कुल 298 हजार हेक्टेयर में मक्का लगाने का लक्ष्य था. इसकी तुलना में 231 हजार हेक्टेयर में मक्का लग चुका है. 497 हजार हेक्टेयर में दलहन लगाना था. अब तक 248 हजार हेक्टेयर में दलहन लग चुका है. लक्ष्य का 38 फीसदी देलहन लगाया गया.

जिला आच्छादन (धान)

रांची 40.10

गुमला 28.06

सिमडेगा 55.37

लोहरदगा 23.91

पू सिंहभूम 49.38

प सिंहभूम 61.90

सरायकेला 57.23

पलामू 5.26

गढ़वा 0.41

लातेहार 38.10

हजारीबाग 30.00

चतरा 27.00

कोडरमा 47.16

गिरिडीह 54.82

धनबाद 25.00

बोकारो 32.85

दुमका 54.27

जामताड़ा 60.84

देवघर 56.00

गोड्डा 73.00

साहेबगंज 82.47

पाकुड़ 80.00

रामगढ़ 25.00

खूंटी 26.30

नोट : चार अगस्त तक धान रोपा की स्थिति (प्रतिशत में)

राज्य में सुखाड़, खर्च किया जा रहा बाढ़ पर
रांची: राज्य सरकार सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए विधानसभा में चर्चा कराने की तैयारी कर रही है. छह अगस्त को विधानसभा में विशेष चर्चा करने का फैसला लिया गया है. दूसरी तरफ बाढ़ से बचाव के लिए 101.75 करोड़ रुपये की लागत से योजनाओं में काम शुरू करवा दिया गया है, जबकि योजना बजट में बाढ़ से बचाव की योजनाओं के लिए सिर्फ 10 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया गया था. यानी चर्चा होगी सुखाड़ पर और प्रमुखता दी जा रही है बाढ़ से बचाव की योजनाओं को. वहीं पैसों की कमी होने की स्थिति से बचने के लिए झारखंड आकस्मिकता निधि (जेसीएफ) से कर्ज लेने की भी तैयार चल रही है.राज्य में खराब मॉनसून की वजह से बारिश कम हुई है. इससे राज्य के 12 जिले सुखाड़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं. इन जिलों में धान की बुआइ 50 प्रतिशत से कम है. धान की बुआइ न्यूनतम 0.41 प्रतिशत और अधिकतम 40.10 प्रतिशत है. सरकार सहित सभी राजनीतिक दल इस स्थिति से चिंतित हैं.

राज्य सरकार ने 101.75 करोड़ रुपये की लागत से बाढ़ से बचाव की कुल 25 योजनाएं स्वीकृत की हैं. चालू वित्तीय वर्ष (2014-15) के दौरान इन 25 योजनाओं के काम के एवज में केवल ठेकेदारों को 49.80 करोड़ रुपये का भुगतान किया जायेगा.

मिली जानकारी के मुताबिक योजना बजट में बाढ़ से बचाव की योजनाओं के लिए सिर्फ 10 करोड़ रुपये का ही प्रावधान है. इसलिए सरकार 39.80 करोड़ रुपये झारखंड आकस्मिकता निधि से कर्ज लेना चाहती है ताकि ठेकेदारों को समय पर भुगतान किया जा सके. इस तरह योजनाओं के लिए सरकार 50 करोड़ रुपये तक की व्यवस्था तो कर लेगी लेकिन, सरकार के इस फैसले से आने वाली अगली सरकार पर ठेकेदारों के बकाया शेष 50 करोड़ रुपये के भुगतान की जिम्मेवारी होगी.

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