रांची : रांची नगर निगम पिछले एक साल से राजधानी में पॉलिथीन बैन को लेकर अभियान चलाया रहा है. नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम रोजाना शहर में सड़क किनारे सब्जी-फल बेचनेवाले, ठेला-खोमचा लगानेवालों और खुदरा परचून बेचने वाले दुकानदारों से पॉलिथीन का इस्तेमाल करने करने के जुर्म में जुर्माना वसूल रही है. लेकिन, शहर में पॉलिथीन का थोक कारोबार करनेवाले बड़े व्यापारियों पर कोई कार्रवाई नहीं नहीं की जा रही है.
राजधानी के बड़े कारोबारियों की मानें, तो राज्य सरकार ने भले ही पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन अब भी राजधानी में हर महीने 150 टन पॉलिथीन का कारोबार हो रहा है. दरअसल पूरी राजधानी में पालिथीन की सप्लाई पंडरा कृषि बाजार और अपर बाजार से की जाती है. इस व्यवसाय में आधा दर्जन से अधिक बड़े व्यापारी शामिल हैं.
व्यवसायियों की मानें, तो दिल्ली से कंटेनर में पॉलिथीन मंगाया जाता है. रात में इसे कंटेनर से उतार कर ऑटो में लोड कर छोटे-छोटे दुकानदारों के यहां भेजा जाता है. अनुमान के मुताबिक हर दिन पांच टन पॉलिथीन ऑटाे में लोड करके शहर के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है.
राजधानी की परेशानी बढ़ा रहा है पॉलिथीन : नगर निगम प्रतिदिन शहर के सभी 53 वार्डों से कुल मिलाकर 550 टन कचरे का उठाव करता है. इसे झिरी डंपिंग यार्ड में डंप किया जाता है. इस कचरे का 30 प्रतिशत हिस्सा मतलब यानी 180 टन हिस्सा पॉलिथीन ही होता है.
निगम की स्वास्थ्य शाखा के पदाधिकारियों की मानें, तो शहर की अधिकतर नालियों के जाम होने की वजह पॉलिथीन ही हाेती है. वहीं कचरे के ढेर में पड़े पॉलिथीन को सड़कों पर घूमते आवारा जानवर (गाय, बकरी आदि) बीमार पड़ रहे हैं.
- फल-सब्जी, ठेला-खोमचावालों और फुटकर दुकानदारों से वसूला जा रहा जुर्माना
- पॉलिथीन के बड़े व्यापारियों पर हाथ डालने से परहेज कर रहा रांची नगर निगम
- पंडरा कृषि बाजार व अपर बाजार से पूरे शहर को होती है पॉलिथीन की सप्लाई
- पॉलिथीन के कारण जाम हो रहीं शहर की नालियां, जानवर खा कर हो रहे बीमार
- 550 टन कचरा निकलता है राजधानी रांची के सभी 53 वार्डों से रोजाना
- 180 टन पॉलीथिन होता है शहर से रोजाना निकलनेवाले इस कचरे में
50 टन पॉली प्रोपलीन की भी हर माह हो रही खपत
नगर निगम ने पॉलिथीन बैन करने के साथ ही इससे मिलते-जुलते उत्पाद पॉली प्रोपलीन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन, अब भी शहर में पॉली प्रोपलीन के इन थैलों की खुलेआम आपूर्ति की जा रही है. दुकानदारों की मानें, तो इनका भी आपूर्ति पंडरा बाजार से ही हो रही है. हर माह 50 टन पॉली प्रोपलीन की खपत हो रही है.