रांची/खूंटी: खूंटी जिले के अड़की स्थित लेंबा गांव में पुलिस ने मुठभेड़ में भाकपा माओवादी के सबजोनल कमांडर तुलसी दास उर्फ विशालजी को मार गिराया. तुलसी पर दो लाख रुपये का इनाम था. मुठभेड़ में कोबरा बटालियन के सहायक कमांडेंट मनोज कुमार घायल हो गये. घटना बुधवार सुबह करीब पांच बजे की है. मुठभेड़ करीब घंटे भर चली. तुलसी मूल रूप से बुंडू के ब्राrाण टोले का रहनेवाला था. उसके खिलाफ अड़की थाने में 10, बुंडू थाने में 7, तमाड़ थाने में 4 व चौका थाने में एक प्राथमिकी दर्ज है.
घंटे भर चली मुठभेड़ : जानकारी के अनुसार, रांची के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सुरेंद्र कुमार झा को मंगलवार रात सूचना मिली कि तुलसी दास 20 नक्सलियों के साथ लेंबा गांव में बैठक कर रहा है. उन्होंने खूंटी एसपी अनीस गुप्ता और एसडीपीओ दीपक शर्मा को इसकी सूचना दी.
बुधवार तड़के चार बजे रांची और खूंटी पुलिस की टीम लेंबा गांव पहुंची. इसके बाद गांव की घेराबंदी शुरू कर दी. पुलिस को देख नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की. दोनों ओर से घंटे भर गोलीबारी हुई. तुलसी दास के मारे जाने के बाद अन्य नक्सली भाग गये.
दो लाख रुपये का इनामी था
बरामद हथियार व सामान
एक एके-47 राइफल (सीआरपीएफ जवान से लूटी गयी), 150 गोलियां, 83 खोखे, एक ग्रेनेड, मोबाइल व वरदी
कई घटनाओं में वांछित
बुंडू-तमाड़ के बीच एनएच पर आइसीआइसीआइ बैंक के पांच करोड़ व एक किलो सोना की लूट
नौ जुलाई 2008 को बुंडू थाना क्षेत्र में विधायक रमेश सिंह मुंडा सहित चार की हत्या
30 जून 2008 को तमाड़ के पुंडीदिरी में डीएसपी प्रमोद कुमार सहित पांच पुलिसकर्मियों की हत्या
अड़की थाना क्षेत्र में सीआरपीएफ के पांच
जवानों की हत्या
मुठभेड़ में शामिल अधिकारी
रांची के ग्रामीण एसपी सुरेंद्र कु झा, खूंटी के एएसपी अभियान पीआर मिश्र, रांची के एएसपी अभियान हर्षपाल सिंह, 203 कोबरा बटालियन के डिप्टी कमांडेंट संजय कुमार, सहायक कमांडेंट मनोज कुमार, सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट दिलीप कु सिंह, तमाड़ थाने के प्रभारी रणविजय शर्मा, अड़की थाने के दारोगा रामजी राय, खूंटी थाने के दारोगा बासुदेव साह, कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ व रांची व खूंटी जिला बल के जवान.
मुख्य सचिव व डीजीपी पहुंचे, पुरस्कृत किया
मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती, डीजीपी राजीव कुमार और आइजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा खूंटी पहुंचे. मुठभेड़ में शामिल जवानों से मुलाकात की. उन्हें बधाई दी. जवानों को दो लाख रुपये नकद देकर पुरस्कृत किया.
मिलेगा गैलेंट्री अवार्ड
मुख्य सचिव ने कहा कि एक नक्सली को मार दिया गया है. अन्य नक्सलियों को भी मारा जायेगा. जो जवान अच्छा काम करेंगे, उन्हें मनचाही पोस्टिंग मिलेगी. मुठभेड़ में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को गैलेंट्री अवार्ड देने की अनुशंसा की जायेगी. उन्होंने जवानों से कहा कि यह देसी शत्रुओं के खिलाफ युद्ध है. ऐसी ही सफलता आगे भी दिलाते रहो. हम पुरस्कृत करते रहेंगे.
खूंटी में कारगिल जैसा उमंग
‘‘माओवादियों के संगठन के अंदर महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले की एनकाउंटर में मौत हुई है. नौजवान लड़का था, उसका दु:खद अंत हुआ है. रास्ता भटक गया था. सरकार की यह रणनीतिक जीत है. पुलिस-प्रशासन ने जो रणनीति बनायी है, उसे जमीन पर जूनियर ऑफिसर बखूबी से उतार रहे हैं. खूंटी जा कर देखें, वहां कारगिल की तरह उमंग है. जवान उत्साहित हैं. उग्रवादी विकास को प्रभावित कर रहे हैं.
सजल चक्रवर्ती, मुख्य सचिव
आर-पार की लड़ाई है
‘‘उग्रवादियों, नक्सलियों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई है. सुरक्षाकर्मी मुस्तैदी से माओवादियों का सामना कर रहे हैं. बहादुरी व धैर्य से काम कर रहे हैं. इनके लिए अवार्ड की अनुशंसा की जायेगी. जब तक सुरक्षा व्यवस्था कायम नहीं हो जाती, ऑपरेशन जारी रहेगा.
राजीव कुमार, डीजीपी
एके-47 से कर रहा था फायरिंग
पुलिस की जिस टीम ने माओवादी सब-जोनल कमांडर तुलसी दास को मार गिराया, उसमें कुल 60 पुलिसकर्मी शामिल थे. पुलिसकर्मी तीन ग्रुप में बंटे हुए थे. प्रत्येक टोली में 20-20 जवान थे. लेंबा गांव के पास पुलिस ने नक्सलियों की घेराबंदी की थी. एक टुकड़ी का नेतृत्व ग्रामीण एसपी सुरेंद्र कुमार झा कर रहे थे, जबकि दूसरी व तीसरी टुकड़ी का नेतृत्व रांची और खूंटी के एएसपी ऑपरेशन. नक्सली जहां पर थे, पुलिस वहां से दूर थी. नक्सलियों को पुलिस के आने की खबर मिल गयी थी, जिसके बाद नक्सलियों पर फायरिंग शुरू कर दी थी.
फायरिंग में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट को गोली लगने के बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की. इसके बाद नक्सली भागने लगे थे. पुलिस नक्सलियों का पीछा कर रही थी. मुठभेड़ में शामिल एक पुलिस अधिकारी के अनुसार एक नक्सली अपने भागते साथियों को छोड़ पीछे मुड़ा और फायरिंग शुरू कर दी. वह अकेले बहादुरी के साथ पर एके-47 से फायरिंग कर रहा था. इसी दौरान दोनों तरफ से हुई फायरिंग में एक गोली तुलसी दास के सिर में लगी. पुलिस के मुताबिक यदि तुलसी दास मोरचा लेकर फायरिंग नहीं करता और पुलिस कुछ वक्त तक उससे उलझी नहीं रहती, तो और नक्सली मारे जाते. मुठभेड़ के दौरान पुलिस, नक्सलियों के करीब होती जा रही थी.