रांची: किसानों को अनुदानित दर पर नोटिफाइड हाइब्रिड धान का बीज उपलब्ध कराने में सरकार को परेशानी हो रही है. कंपनी नोटिफाइड धान का बीज उपलब्ध कराने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है. कृषि विभाग ने इसके लिए टेंडर भी किया. करीब 24 कंपनियों को बीज आपूर्ति का आदेश भी दिया. कई जिलों में तो कंपनियों ने सरकार के साथ एमओयू करने से भी इनकार कर दिया. कृषि विभाग ने नोटिफाइड धान के बीज पर प्रति किलोग्राम की दर से 50 रुपये अनुदान देने का निर्णय लिया है.
क्यों हुई गड़बड़ी: कृषि विभाग ने इस बार 27 जून को नोटिफाइड हाइब्रिड धान के बीज के लिए आपूर्ति आदेश निकाला. आदेश में कंपनियों के लिए कई शर्ते भी तय की गयी थीं. कंपनियों को जिला कृषि पदाधिकारियों के साथ एमओयू करना था. कंपनियों के पास कितनी हाइब्रिड बीज है, इसक ी जानकारी भी कंपनियों को देनी थी. कंपनियों के लिए शर्त थी कि किसानों को बीज देते समय उनका आइडी प्रूफ लेंगे. जमीन कितना है, इसकी जानकारी लेंगे. इसी आधार पर कंपनियों को अनुदान राशि का भुगतान होना था.
क्या कहते हैं अधिकारी
हजारीबाग के संयुक्त कृषि निदेशक रामनारायण प्रसाद का कहना है कि झारखंड में चार जुलाई के बाद आद्रा नक्षत्र खत्म हो जाता है. 10 जुलाई तक किसान बिचड़ा लगाने का काम कर लेते हैं. हाइब्रिड सीड का बिचड़ा आठ से 12 दिनों में तैयार होता है. 15 दिनों के बाद इसकी गुणवत्ता पर असर पड़ने लगता है. किसान ऐसी स्थिति में हाइब्रिड बीज लेकर खेतों में नहीं लगायेंगे. इस कारण किसानों की रुचि सरकार से मिलनेवाले हाइब्रिड बीज में नहीं है.
70 हजार क्विंटल बांटने का लक्ष्य
किसानों को 70 हजार क्विंटल अधिसूचित बीज बांटने का लक्ष्य कृषि विभाग ने रखा है. इसकी तुलना में 50 हजार क्विंटल बीज आपूर्ति का आदेश ही कंपनियों को दिया गया था. कंपनियों को अनुदान के रूप में करीब 25 करोड़ रुपये का वितरण किया जाना था.
23 कंपनियों की बनी है सूची
कृषि विभाग ने किसानों को अधिसूचित बीज उपलब्ध कराने के लिए 23 कंपनियों को इम्पैनल किया था. तय हुआ था कि इन्हीं कंपनियों का बीज खरीदने पर किसानों को अनुदान का लाभ मिलेगा. किसानों को 230 से लेकर 275 रुपये प्रति किलो के धान बीज में 50 रुपये का अनुदान मिलता है. किसानों को सभी प्रभेद मिला कर छह किलो बीज देने का प्रावधान है.
जहां-जहां कंपनियों के बीज उपलब्ध हैं, वहां-वहां कंपनियां एमओयू कर रही हैं. बीज नहीं रहेगा, तो कंपनियां एमओयू क्यों करेंगी. वैसे मेरे पास इस कंपनियों द्वारा एमओयू नहीं किये जाने की सूचना नहीं है.
केडीपी साहू, निदेशक कृषि