रांची: कुटे में प्रस्तावित विधानसभा निर्माण के विरोध में विस्थापितों ने शुक्रवार को शिलान्यास स्थल पर हल चलाया. हटिया विस्थापित परिवार समिति के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में विस्थापित सुबह 10.00 बजे धरना स्थल पर जुटे. विधायक बंधु तिर्की के नेतृत्व में विस्थापित आधा दर्जन से अधिक हल-बैल लेकर शिलान्यास स्थल पहुंचे और भूमि पर हल जोता और धान (गोड़ा धान) छींटा.
बंधु तिर्की ने कहा कि छह दशकों से एचइसी के विस्थापितों के साथ धोखा होते आया है. विस्थापित विधानसभा निर्माण के खिलाफ नहीं है, बल्कि प्रस्तावित कोर कैपिटल में बनने वाले शॉपिंग मॉल व प्राइवेट लोगों को दी जाने वाली भूमि के खिलाफ हैं. सरकार विस्थापित को कम से कम 25 प्रतिशत जमीन वापस करे और मुआवजा भी दे. विधायक नवीन जायसवाल ने विस्थापितों की समस्याओं पर विधायिका एवं कार्यपालिका से गंभीर होने का आग्रह किया. रतन तिर्की ने कहा कि सरकार को विस्थापितों का मान-सम्मान रखना चाहिए.
हल-बैल चलाने वालों में बंधु तिर्की, अजय नाथ शाहदेव, रतन तिर्की, दीपक प्रकाश, प्रतुल नाथ शाहदेव, कृष्णमोहन सिंह, पंकज शाहदेव, बाल मुकुंद सहाय, मंगरा मुंडा, अनिल तिर्की, विलियम मुंडा, पंचु महतो, एम हुसैन, रोबिन तिर्की, दिलीप तिर्की, जलेश्वर मुंडा, रोहित तिर्की आदि शामिल थे. वहीं इस अवसर पर दर्शनों महिलाओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. महिलाओं का कहना था कि सरकार अपने वादा से पीछे हट रही है. कार्यक्रम के बाद विस्थापित धरना स्थल पर बैठे.
आज घड़ा फोड़ कार्यक्रम
विस्थापित ग्राम की महिलाएं शनिवार को झारखंडी संस्कृति के अनुसार दोपहर दो बजे धरना स्थल पर घड़ा फोड़ कार्यक्रम करेंगी. इसके अलावा पुराना झाड़ू, सूप को धरना स्थल और शिलान्यास स्थल पर टांगा जायेगा. उक्त कार्यक्रम में विधायक बंधु तिर्की भी शामिल होंगे. हटिया विस्थापित परिवार समिति के पंकज शाहदेव ने बताया कि धरना जगन्नाथपुर मेला के दिन भी जारी रहेगा.
विस्थापितों की मांग
कुटे, तिरिल, लाबेद, मुड़मा, आनी व जगन्नाथपुर ( जो अधिग्रहण के समय से ही अपने पूर्व स्थान पर कायम है ) को राजस्व ग्राम का दर्जा देने, वैकल्पिक जीवन स्नेत के लिए कुल रैयतवार अधिग्रहित भूमि की 25 फीसदी भूमि रैयतों को वापस करने, नये भू अजर्न कानून 2013 को लागू करने, विस्थापित कल्याण बोर्ड की स्थापना करते हुए पांच सौ करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज देने, विस्थापितों को झारखंड सरकार की नौकरी में आरक्षण देने आदि की मांग विस्थापित कर रहे हैं.