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वित्त विभाग ने लौटायी मदरसों की फाइल

रांची: राज्य के 591 मदरसों को अनुदान देने के प्रस्ताव को वित्त विभाग ने वापस कर दिया है. वित्त ने प्रस्ताव के कई बिंदुओं पर शिक्षा विभाग से और जानकारी मांगी है. वित्त विभाग का कहना है कि अनुदान वितरण को लेकर तैयार किया गया प्रस्ताव तर्क संगत नहीं है. वित्त द्वारा उठाये सवालों का […]

रांची: राज्य के 591 मदरसों को अनुदान देने के प्रस्ताव को वित्त विभाग ने वापस कर दिया है. वित्त ने प्रस्ताव के कई बिंदुओं पर शिक्षा विभाग से और जानकारी मांगी है. वित्त विभाग का कहना है कि अनुदान वितरण को लेकर तैयार किया गया प्रस्ताव तर्क संगत नहीं है.

वित्त द्वारा उठाये सवालों का जवाब शिक्षा विभाग तैयार कर रहा है. वित्त विभाग ने इससे पहले दो बार प्रस्ताव वापस किया था. राज्य में लगभग 591 गैर अनुदानित मदरसा हैं. राज्य सरकार ने इन मदरसों को अनुदान देने का निर्णय लिया है. इसकी प्रक्रिया वर्ष 2011 से चल रही है. अब तक इस संबंध में नीतिगत निर्णय नहीं हो सका है. अनुदान प्राप्त करने के लिए शिक्षा विभाग ने दूसरे राज्यों के मदरसों को मिलने वाले अनुदान की नियमावली से जानकारी जुटायी है. विभिन्न राज्यों में मदरसों को मिल रहे अनुदान के आधार पर झारखंड में भी नियामवली बनायी गयी है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने 76 मदरसों की मान्यता की अनुशंसा मानव संसाधन विकास विभाग से की है.

इसी मुद्दे पर दुमका में हुई थी कैबिनेट की बैठक

14 नवंबर 2011 को दुमका में कैबिनेट की बैठक हुई थी. बैठक में राज्य के 591 मदरसों को अनुदान देने का निर्णय लिया गया गया था. इसके लिए प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गयी थी. झारखंड एकेडमिक काउंसिल के माध्यम से मदरसों की जांच प्रक्रिया शुरू की गयी. दूसरी ओर कैबिनेट के निर्णय के आलोक में नीति निर्धारण करने को कहा गया. कैबिनेट के निर्णय पर तीन माह के अंदर कार्रवाई पूरा करने का आदेश जारी किया गया था.

क्या है शिक्षा विभाग का प्रस्ताव

मानव संसाधन विकास विभाग ने मदरसों व संस्कृत स्कूलों को अनुदान देने के लिए लगभग 7.50 करोड़ रुपये के प्रावधान का प्रस्ताव तैयार किया है. इसके लिए विद्यार्थियों की संख्या का स्लैब भी तैयार किया गया है. इसके तहत 30 से 60, 61 से 120 व 121 से 160 व उससे अधिक विद्यार्थी वाले मदरसों के लिए अलग-अलग राशि देने की बात कही गयी है.

जमीन की शर्त में दी गयी है छूट

मदरसों को मान्यता देने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रस्वीकृति नियमावली में संशोधन किया गया. सरकार द्वारा मदरसा प्रस्वीकृति नियमावली 1980 में किये गये बदलाव के बाद संताल परगना प्रमंडल में मदरसों की मान्यता के लिए भूमि का निबंधन आवश्यक नहीं होगा. एकीकृत बिहार के समय से संचालित एवं निबंधित मदरसों के संबंध में जो प्रक्रिया अपनायी जाती थी, उसी आधार पर मदरसों को मान्यता दी जायेगी.

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