रांची: कोल इंडिया के करीब साढ़े तीन लाख कर्मियों की पेंशन संकट में है. पेंशन फंड में सुधार नहीं किया गया, तो 10 साल बाद कोलकर्मियों को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं बचेंगे. कोल माइंस प्रोविडेंड फंड (सीएमपीएफ) बोर्ड ऑफ ट्रस्टी को इस मामले से अवगत करा दिया गया है. ट्रस्टी के आग्रह पर एक अध्ययन करवाया गया है. इसमें कम से कम 18 हजार करोड़ रुपये की तत्काल जरूरत बतायी गयी है.
क्यों आयी यह स्थिति : 1994 से 1998 तक एक्चूयरी बुद्धदेव चटर्जी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी. इनकी रिपोर्ट फेल हो गयी. एक्चूयरी ने वेतन में वार्षिक सात फीसदी की वृद्धि दर से रिपोर्ट तैयार की थी. आज यह 30 फीसदी से अधिक है. इस दौरान कर्मचारी और अधिकारियों का सीएमपीएफ में योगदान कम होता गया. कर्मचारियों की बहाली बंद हो गयी. रिटायर होनेवालों की संख्या बढ़ती चली गयी. जमा करनेवाले साढ़े तीन लाख : कंपनी में करीब साढ़े तीन लाख कर्मी काम कर रहे हैं. इनके बेसिक वेतन की 1.16 फीसदी और दो फीसदी राशि पेंशन मद में जमा होती है. रिटायर होनेवाले कर्मियों को अंतिम समय के वेतन का सामान्यत: 25 फीसदी राशि पेंशन मद में मिलती है. अभी जो स्थिति है, उसमें पेंशन मद की राशि जमा राशि से हर माह बहुत अधिक है.
एक समय पेंशन फंड में जमा करनेवाले सात लाख कोयलाकर्मी थे. आज तीन लाख बच गये हैं. इसमें कर्मचारियों का पैसा है. बहुत जल्द इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ तो, मुश्किल में फंस जायेंगे. – लखन लाल महतो, एटक
इस मुद्दे पर व्यापक निर्णय होना चाहिए. कर्मचारियों के भविष्य का मामला है. बहुत जल्द निर्णय नहीं हुआ तो, आंदोलन करने के लिए बाध्य होना होगा.
– सनत मुखर्जी, दजेकोमयू
क्या है वेतन की स्थिति : सीसीएल के एक वरीय कर्मचारी (ए-1) ने बताया कि वर्ष 2000 के आसपास 20 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता था. 14 सालों में यह तीन गुना बढ़ा है. करीब 70 हजार रुपये वेतन मिल रहा है. अधिकारियों के वेतन में भी ऐसी ही वृद्धि हुई है.
3,50,000 कर्मी
हैं कोल इंडिया में
‘‘इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार हो रहा है. अगर समय रहते फंड की स्थिति पर विचार नहीं किया गया, तो सीएमपीएफ संकट में आ जायेगा. इसके लिए बहुत जल्द जेबीसीसीआइ के साथ बैठक होनेवाली है. इसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जायेगा. डीडी रामानंदन
सदस्य, बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीएमपीएफ)
सीएमडी रैंक के अधिकारी
18 माह में उठा लेते हैं पूरी राशि
ट्रस्टी ने जानकारी दी कि कोल इंडिया के सीएमडी स्तर के एक अधिकारी जितनी राशि पूरी सेवा के दौरान पेंशन मद में जमा करते हैं, वह मात्र 18 माह में ही उठा लेते हैं. मतलब सेवानिवृत्ति के 19वें माह से वह वर्तमान में काम करनेवाले कर्मचारियों की जमा राशि से पैसा लेते हैं. इसी तरह तीन साल में सीनियर क्लर्क (ए-1) व 50 माह में कैटगरी-1 कर्मचारी अपनी जमा राशि ले लेते हैं.