रांची: भोजन के अधिकार अभियान की दो दिवसीय पूर्वी क्षेत्रीय बैठक सोमवार को हुई़ बैठक में अर्थशास्त्री प्रोफेसर ज्यां द्रेज ने कहा कि झारखंड के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून सबसे जरूरी है़ झारखंड और बिहार में सबसे ज्यादा भूखे हैं. झारखंड सरकार ने इस कानून को लागू करने के प्रति रूची नहीं दिखायी है़.
यूआइडी के लिए जिस तरह से सरकार ने कोशिश की थी, उस तरह की कोशिश इस कानून को लागू करने में नहीं की़ उन्होंने कहा कि सभी चाहते हैं कि उनके पास राशन कार्ड हो़ समय पर खाद्यान्न मिल़े प्रो. द्रेज ने कहा कि इस कानून के ग्रामीण क्षेत्रों में 87 फीसदी आच्छादन की बात है़.
लोगों की पहचान के लिए 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना को आधार बनाना चाहिए, पर झारखंड में इस आधार पर सिर्फ देवघर जिले के आंकड़े ही उपलब्ध हैं. उस जनगणना में करोड़ो रुपये खर्च हुए और फायदा सिर्फ निजी क्षेत्र उठा रहा है़ जन वितरण प्रणाली में भी व्यापक सुधार की जरूरत है़.
पांच जुलाई तक कानून लागू करना है
ज्यां द्रेज ने कहा कि पांच जुलाई तक इस कानून को लागू करना है़ उस दिन को रेखांकित करने की जरूरत है़ कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट कमिश्नर के राज्य सलाहकार बलराम, गुरजीत सिंह, भोजन के अधिकार अभियान दिल्ली की स्वाति और झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने की तैयारियों पर चर्चा की़