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बेटे के लीवर से पिता की बची जान

रांची: राजधानी में रहनेवाले एसबीआइ कर्मी राजेश्वर बाड़ा की जान उसके पुत्र ने लीवर देकर बचायी. श्री बाड़ा का लीवर खराब हो गया था. चिकित्सकों ने लीवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी थी. श्री बाड़ा के पुत्र विनय बाड़ा ने अपना लीवर पिता को दिया. 21 अप्रैल को दिल्ली स्थित मेदांता अस्पताल में श्री बाड़ा […]

रांची: राजधानी में रहनेवाले एसबीआइ कर्मी राजेश्वर बाड़ा की जान उसके पुत्र ने लीवर देकर बचायी. श्री बाड़ा का लीवर खराब हो गया था. चिकित्सकों ने लीवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी थी. श्री बाड़ा के पुत्र विनय बाड़ा ने अपना लीवर पिता को दिया. 21 अप्रैल को दिल्ली स्थित मेदांता अस्पताल में श्री बाड़ा का ऑपरेशन हुआ.

डॉ एएस स्वाइन के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने ऑपरेशन किया. परिजनों ने बताया कि चिकित्सकों ने लीवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की स्थिति को सामान्य बताया है. डोनर की स्थिति भी सामान्य है. डोनर को एक-दो दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जायेगी.

विद्यार्थियों ने किया रक्तदान : चिकित्सा के दौरान श्री बाड़ा को खून की जरूरत पड़ गयी थी. इसकी सूचना विनय और उसके बहन के दोस्तों को मिली. विनय एक्सआइएसएस का छात्र रह चुका है. दिल्ली में रह रहे एक्सआइएसएस के कई पूववर्ती छात्रों ने रक्तदान किया. विनय की बहन के साथ दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने भी रक्तदान किया. एक्सआइएसएस के पूर्ववर्ती छात्र कंसित बारोस, विपुल खगानी, अमन लकड़ा, शैली आइंद, अविनाश मोदी, ब्रजेश कुमार, रविकांत, पंकज राय, नेहा मिंज, जेएनयू की रिया राज, मयंक योगी, निशांत सिंह, विपुल कुमार आदि ने रक्तदान किया. श्री बाड़ा की पत्नी वलेरिया लकड़ा ने बताया कि यह काफी कठिन समय था. बेटे के सहयोग से पति को नयी उम्र मिली. शुरू में काफी डर लग रहा था. लेकिन, चिकित्सकों और परिजनों की हिम्मत के बाद यह सफल हुआ.

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