पिछले साल की तुलना में इस वर्ष मैट्रिक का रिजल्ट 2.2 प्रतिशत बेहतर रहा. कुल 75.3 फीसदी विद्यार्थी सफल रहे. पिछले दो सालों से परीक्षा परिणाम लगातार बेहतर हो रहा है. हालांकि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष रिजल्ट में 3.55 फीसदी कम वृद्धि दर्ज की गयी. पिछले साल 5.75 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी थी. इस साल भी स्टेट टॉप टेन में नेतरहाट के छात्रों का दबदबा रहा. टॉप टेन की सूची में नेतरहाट स्कूल के 14 छात्र शामिल हैं. लड़कों ने लड़कियों को पीछे छोड़ दिया है. इस वर्ष 77.66 फीसदी लड़के और 72.83 प्रतिशत लड़कियां सफल रहे. स्टेट टॉप टेन की सूची में सिर्फ एक ही लड़की जगह बना पायी है, वह भी 10 वें स्थान पर रही. सबसे बेहतर प्रदर्शन गिरिडीह के विद्यार्थियों का रहा.
रांची: मैट्रिक की परीक्षा में इस वर्ष सोशल साइंस और साइंस में विद्यार्थियों ने बेहतर प्रदर्शन किया. सोशल साइंस का औसत प्राप्तांक 53 रहा. औसत प्राप्तांक में पिछले वर्ष (50) के मुकाबले तीन अंक की वृद्धि दर्ज की गयी है. इसी तरह साइंस में भी औसत प्राप्तांक (49) में तीन अंक की वृद्धि दर्ज की गयी है. गणित में विद्यार्थियों का औसत प्राप्तांक 54 रहा. इसमें दो अंक की वृद्धि दर्ज की गयी है. इस वर्ष मैट्रिक के बच्चे हिंदी में पिछड़ गये. पिछले वर्ष हिंदी में औसत प्राप्तांक 48 था. पर इस साल घट कर 47 ही रह गया. अंगरेजी में भी पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बच्चों ने कुछ खास बेहतर प्रदर्शन नहीं किया. पिछले वर्ष 43 के मुकाबले इस साल औसत प्राप्तांक 44 ही रहा. गिरिडीह के बच्चे सबसे आगे : प्रभात खबर मैट्रिक्स के अनुसार, इस वर्ष गिरिडीह के बच्चे आगे रहे. सरायकेला के बच्चों ने सबसे खराब प्रदर्शन किया.
गणित में सबसे आगे चतरा के बच्चे रहे. इस जिले के बच्चों का गणित में औसत प्राप्तांक 62.69 रहा. वहीं, सिमडेगा के बच्चे गणित (औसत प्राप्तांक 42.68) में सबसे पीछे रहे. विज्ञान में गिरिडीह के बच्चे 54.71 औसत प्राप्तांक के साथ सबसे आगे रहे. वहीं, लोहरदगा के बच्चों का प्रदर्शन इस विषय में सबसे खराब रहा. रांची के बच्चे सोशल साइंस में आगे रहे. इस विषय में रांची के बच्चों का औसत प्राप्तांक 57.08 रहा. सोशल साइंस में सबसे पीछे सरायकेला (औसत प्राप्तांक 45.24) के बच्चे रहे.
योजनाबद्ध तैयारी बेकार नहीं जाती : चंदन कुमार
मैट्रिक परीक्षा में राज्य में अव्वल रहे चंदन कुमार का कहना है कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना चाहता है. फिलहाल वह रांची में रह कर आइआइटी की तैयारी कर रहा है. चंदन का परिवार बिहार के बक्सर स्थित सिंदरौल गांव का रहनेवाला है. उसके पिता पिता सत्येंद्र कुमार सिंह किसान हैं, मां उपमा सिंह गृहणी हैं. चंदन दो भाई में बड़ा है, कहता है : शुरू से ही आइआइटी लक्ष्य रहा है. उम्मीद थी कि अच्छा रिजल्ट होगा, पर टॉप करेंगे, इसकी उम्मीद नहीं थी. योजनाबद्ध तरीके से की गयी तैयारी कभी बेकार नहीं जाती. इच्छा बलवान हो, तो कोई भी मुश्किल और संसाधन का अभाव आड़े नहीं आता है.
अलग विश्लेषण
प्रभात खबर ने पिछली बार की तरह ही अलग तरह से रिजल्ट का विश्लेषण किया है. यह विश्लेषण सरकार, प्रशासन, शिक्षक और अभिभावक के लिए एक दस्तावेज है. इसके सहारे वे बच्चों के इंटरेस्ट, जरूरत और बाकी चीजों के बारे में जान सकते हैं. मैट्रिक के बच्चों को झारखंड के परिप्रेक्ष्य में और बेहतर तरीके से समझा और जाना जा सकता है.