-मुख्यमंत्री ने की थी योजना की शुरुआत
क्या हुई थी घोषणा
पुलिस कंट्रोल रूम परिसर में इस सिस्टम के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि शीघ्र ही पूरे प्रदेश में गोल्डेन आवर सिस्टम की शुरुआत होगी. डीजीपी राजीव कुमार ने कहा था हजारीबाग, धनबाद और जमशेदपुर में यह सेवा शीघ्र शुरू होने वाली है.
क्या थी व्यवस्था
पुलिस कंट्रोल रूम में एक रजिस्टर की व्यवस्था थी. इसमें 25 अस्पतालों के नाम और फोन नंबर थे. दुर्घटना की सूचना मिलने पर पुलिस कंट्रोल रूम घटनास्थल से नजदीक के अस्पताल को इसकी सूचना देता था. अस्पताल से एंबुलेंस भेजा जाता था. घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाकर उसका इलाज शुरू होता था.
क्या था इस सेवा का फायदा
ट्रैफिक एसपी के अनुसार दुर्घटना में घायल व्यक्ति के लिए चंद घंटे उसके जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. घायल को नजदीकी अस्पताल में बेहतर इलाज मिल जाये, तो शायद उसकी जान बच सकती है. शुरुआती दौर में इस सिस्टम के तहत घायलों का इलाज भी हुआ. सूचना मिलने पर शीघ्र एंबुलेंस पहुंच जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है.
केस स्टडी-1
18 अप्रैल की रात सैनिक बाजार के सामने रेलवे अधिकारी की कार से मो यूसुफ नामक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया. इसके बाद घायल को इलाज के लिए उसी कार से अंजुमन अस्पताल पहुंचाया गया.
केस स्टडी- 2
23 अप्रैल को एसएसपी आवास के समीप एक युवक वाहन की चपेट में आकर घायल हो गया. कंट्रोल रूम से अस्पताल की जगह लालपुर पुलिस को सूचना दी गयी. इसके बाद लालपुर पुलिस ने युवक को इलाज के लिए अस्पताल भेजा.
जल्द होगी अस्पताल प्रबंधनों के साथ बैठक
अस्पताल प्रबंधन से पुलिस को सहयोग नहीं मिल पा रहा है. इससे सिस्टम को बेहतर ढंग से चलाने में परेशानी हो रही है. सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए दोबारा अस्पताल प्रबंधन और पुलिस की बैठक होगी.
राजीव रंजन सिंह, ट्रैफिक एसपी, रांची