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पांच घंटे बाद विस्फोट स्थल पर पहुंची थी एंबुलेंस

रांची: दुमका के शिकारीपाड़ा में विस्फोट के बाद घायल जवानों तक एंबुलेंस को पहुंचाने में पुलिस को करीब पांच घंटे से अधिक का वक्त लग गया था. वह भी तब, जब चुनाव का दिन होने की वजह से पूरा महकमा अलर्ट था. एयर एंबुलेंस से लेकर हर जिले में मेडिकल टीम बनाये जाने की बात […]

रांची: दुमका के शिकारीपाड़ा में विस्फोट के बाद घायल जवानों तक एंबुलेंस को पहुंचाने में पुलिस को करीब पांच घंटे से अधिक का वक्त लग गया था. वह भी तब, जब चुनाव का दिन होने की वजह से पूरा महकमा अलर्ट था. एयर एंबुलेंस से लेकर हर जिले में मेडिकल टीम बनाये जाने की बात कही गयी थी.

विस्फोट की घटना करीब शाम के 4.15 बजे हुई थी, जबकि पुलिस के अधिकारी एंबुलेंस लेकर रात 9.00 बजे के बाद पहुंचे थे. घायलों को अस्पताल पहुंचने में करीब छह घंटे का वक्त लग गया. हालात यह थे कि रात के 9.30 बजे तक पुलिस मुख्यालय को इस बात की पक्की सूचना नहीं थी कि कितने लोग व कौन-कौन लोग मारे गये, कौन-कौन घायल हैं. नक्सली हथियार लूट कर ले गये या नहीं. विस्फोट और इसके बाद हुई कार्रवाई में शामिल रहे एक पुलिस अधिकारी ने पूरा ब्योरा बताया है. नाम नहीं छापने की शर्त पर बतायी गयी बातों ने पुलिस विभाग की सतर्कता की पोल खोल दी है.

मच गया था हड़कंप
जिस वक्त विस्फोट की खबर दुमका जिला पुलिस मुख्यालय पहुंची, उस वक्त एसपी समेत कई अधिकारी स्ट्रांग रूम (जहां इवीएम जमा करने का काम शुरु हो गया था) में मौजूद थे. पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया. अधिकारियों ने तय किया कि शिकारीपाड़ा चला जाये, फिर वहां से घटनास्थल, लेकिन फोर्स की उपलब्धता की समस्या थी. चुनाव की वजह से मुख्यालय में फोर्स नहीं थे. जहां-तहां से फोर्स की व्यवस्था की गयी. फिर करीब 50 फोर्स के साथ पुलिस अधिकारी शिकारीपाड़ा पहुंचे. तब तक शाम के करीब छह बज गये थे और अंधेरा होने लगा था.

छह घंटे बाद मिली चिकित्सा
रात लगभग 9.00 बजे के बाद पुलिस के जवान एंटी लैंड माइन वाहन से घटनास्थल पहुंचे. साथ में एंबुलेंस भी था. घायलों को एंबुलेंस में लेकर पुलिस के जवान रात करीब 10.30 बजे दुमका पहुंचे. जहां सदर अस्पताल में घायलों का प्राथमिक उपचार शुरू किया गया. रास्ते में चिकित्सक ने घायलों को दर्द निवारक इंजेक्शन दिया था. इस कारण उनका दर्द तो कम हो गया था, लेकिन डर के कारण सभी चिल्ला रहे थे.

आगे जाने को तैयार नहीं थे
शिकारीपाड़ा पहुंचने के बाद और घटनास्थल पर रवाना होने से पहले अधिकारियों ने जवानों को अपनी रणनीति बतायी. अधिकारियों ने जवानों को बताया कि पैदल ही घटनास्थल तक जाना होगा. रास्ते में नक्सली हमला कर सकते हैं, इसलिए वहां जाने के लिए गाड़ी का इस्तेमाल नहीं हो सकता. इस ब्रीफिंग के दौरान एक-दो पुलिस अफसर पैर में दर्द होने की बात करने लगे थे. अधिकारियों ने यह भी तय किया था कि घायल जवानों को मदद पहुंचाने के लिए पहले एंटी लैंडमाइन वाहन और एक एंबुलेंस को भेजा जाये. कोई भी पुलिस पदाधिकारी एंटी लैंड माइन वाहन पर सवार होने को तैयार नहीं थे. बाद में एक अधिकारी ने लैंड माइन वाहन से आगे चलने की बात कही.

मदद नहीं कर पा रहे थे जवान
जिस वक्त शिकारीपाड़ा थाना से घटनास्थल पर जाने की रणनीति बन रही थी, उस वक्त शिकारीपाड़ा थाने की पुलिस सात-आठ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच चुकी थी. विस्फोट में घायल अपने साथियों की तकलीफ से विचलित पुलिसकर्मी वायरलेस पर एंबुलेंस भेजने की मांग कर रहे थे. क्योंकि वह नौ घायलों को लेकर पैदल चलने में असमर्थ थे. कोई कुछ कर नहीं पा रहे थे. पुलिस के जवान सिर्फ घायलों को बस से निकालने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान नक्सलियों द्वारा फायरिंग की अफवाह होते ही घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस के कुछ जवान भाग निकले, जबकि कुछ जवान मोरचा लेकर वहीं डटे रहे.

मंच से किया था बहिष्कार का ऐलान
रांची: दुमका के शिकारीपाड़ा विस्फोट की घटना के बाद पुलिस-प्रशासन की लापरवाही के नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं. ताजा सूचना यह है कि घटना से पांच दिन पहले नक्सलियों ने शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पोखरिया में अपनी मौजूदगी और इरादे बता दिये थे. पोखरिया में दुमका से जेवीएम प्रत्याशी बाबूलाल मरांडी की सभा थी. प्रशासन को खबर थी कि इलाके में नक्सली हैं.

श्री मरांडी को खतरा हो सकता है. प्रशासन ने पहले तो, उनसे आग्रह किया कि वह सभा को स्थगित कर दें. जब श्री मरांडी नहीं मानें, तब प्रशासन ने पोखरिया में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये. करीब सौ पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी. श्री मरांडी ने वहां सभा की. सभा करीब तीन बजे खत्म हुई. इसके तुरंत बाद बाबूलाल मरांडी हेलीकॉप्टर से दूसरी जगह के लिए निकल गये. उनके जाने के तुरंत बाद फोर्स भी वहां से हट गयी. इसके करीब 10-15 मिनट के बाद कुछ माओवादी मंच पर चढ़ गये. बाबूलाल मरांडी को सुनने आये बहुत लोग अभी भी वहां मौजूद थे. नक्सलियों ने मंच से ही वोट बहिष्कार का ऐलान किया. नक्सलियों के इस कार्रवाई से कोई भी समझ सकता है कि शिकारीपाड़ा क्षेत्र में नक्सली किस मजबूती के साथ काम कर रहे हैं. निश्चित रूप से इस घटना की जानकारी पुलिस को भी मिली होगी. इस घटना के बाद भी पुलिस अलर्ट नहीं हुई. अगर पुलिस अलर्ट हुई होती, तो जंगल के रास्ते में फोर्स व मतदानकर्मियों की वापसी तक आरओपी (रोड ओपनिंग पेट्रोलिंग) लगाती. पर पुलिस ने ऐसा कोई इंतजाम नहीं किया. लापरवाही की हद यह रही कि उस इलाके में बूथ संख्या-100 व 101 पर जिला बल के जवानों की तैनाती की गयी. राजनीतिक दल यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन ने जान-बूझ कर जिला बल के जवानों की तैनाती की. यह भी आरोप लगा रहे हैं कि 22 अप्रैल को जो फोर्स की तैनाती का आदेश निकला था, 23 अप्रैल को उसमें बदलाव लाया गया.

दो बूथों पर कल होगा मतदान: रांची. दुमका संसदीय क्षेत्र के शिकारीपाड़ी विधानसभा क्षेत्र के दो बूथों पर सोमवार (28 अप्रैल) को मतदान हो सकता है. दोनों बूथों पर पुनर्मतगणना की सिफारिश राज्य के मंत्रिमंडल निर्वाचन ने भारत सरकार के निर्वाचन आयोग से की थी. आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी पीके जाजोरिया की अनुशंसा मानते हुए फिर से मतदान कराने का निर्देश दिया है.

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