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किताब टेंडर मामलाः सीबीआइ जांच की अनुशंसा

-मानव संसाधन विभाग के प्रधान सचिव ने भेजी फाइल- -विवेक चंद्र- रांचीः सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मुफ्त किताब देने के लिए 2013-14 में हुए टेंडर की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है. मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव के विद्यासागर ने सरकार को अनुशंसा से […]

-मानव संसाधन विभाग के प्रधान सचिव ने भेजी फाइल-

-विवेक चंद्र-

रांचीः सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मुफ्त किताब देने के लिए 2013-14 में हुए टेंडर की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है. मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव के विद्यासागर ने सरकार को अनुशंसा से संबंधित फाइल भेजी है. विभागीय मंत्री और मुख्य सचिव की सहमति के बाद फाइल मुख्यमंत्री को भेजी जायेगी. इस मामले में मुख्य सचिव सह झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के अध्यक्ष आरएस शर्मा ने पूर्व में ही परिषद की बैठक में वित्त विभाग की ओर से उठायी गयी आपत्तियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. वित्त विभाग ने टेंडर की शर्तो में तब्दीली सहित अन्य मुद्दों पर गंभीर आपत्तियां की थी. दोषी व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कही थी.

सीवीसी के निर्देश पर रोका गया था भुगतान : वर्ष 2013-14 में सरकारी स्कूलों के करीब 55 लाख बच्चों को किताब उपलब्ध कराने के लिए 99.2 करोड़ रुपये का टेंडर नेशनल प्रिंटर और भार्गव भूषण प्रेस को दिया गया था. बाद में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से टेंडर में भारी घपला किये जाने की शिकायत की गयी थी. मामले को परियोजना परिषद में भी रखा गया था. सीवीसी ने झारखंड शिक्षा परियोजना से टेंडर से संबंधित सभी जानकारी मांगी थी. साथ ही टेंडर की जांच कराने और भुगतान रोकने का निर्देश दिया गया था. किताबों के लिए 65 फीसदी राशि भारत सरकार की ओर से दी जाती है.

30 करोड़ का हो गया है भुगतान : टेंडर के बाद प्रकाशकों को लगभग 30 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से लगायी गयी रोक के कारण शेष राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है. आयोग के निर्देश पर भारत सरकार ने झारखंड को पत्र लिख कर पूछा था कि एक साल में टेंडर 45 करोड़ से बढ़ कर 99 करोड़ कैसे हो गया. भुगतान रोके जाने को लेकर प्रकाशक नेशनल प्रिंटर और भार्गव भूषण प्रेस ने हाइकोर्ट में मामला दायर किया था. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद 21 अप्रैल 2014 तक प्रकाशकों को भुगतान करने का आदेश दिया था.

मामला 2013-14 का

क्या-क्या गड़बड़ियां

-खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तो में बदलाव किया गया

-एक साल में टेंडर 45 करोड़ से बढ़ कर 99.2 करोड़ हो गया

-सप्लायर से पूछ कर टेंडर की शर्ते तय की गयी

तत्कालीन शिक्षा सचिव पर गंभीर आरोप

मामले में तत्कालीन शिक्षा सचिव सह झारखंड शिक्षा परियोजना के निदेशक बीके त्रिपाठी पर भी मामले आरोप लगे हैं. उन पर एक खास कंपनी को किताबों का टेंडर देने के लिए शर्तो में व्यापक फेर-बदल का आरोप है. मामले में बीके त्रिपाठी ने सरकार को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है : मैंने सुना है कि वर्ष 2013-14 में किताबों के टेंडर को लेकर सरकार कार्रवाई कर रही है. अगर यह बात सच है, तो किसी तरह की कार्रवाई से पहले कृपया मेरा पक्ष सुन लिया जाये.

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