रांची: नरेंद्र मोदी की लहर को साकार करने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी ताकत झोंक दी है. राज्य भर में एक लाख से अधिक स्वयंसेवक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. 75 हजार स्वयंसेवकों को बूथ की जिम्मेवारी दी गयी है. प्रत्येक गांव, टोला, प्रखंड और शहर में घर-घर जा कर वे लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं. वोट देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. हालांकि कार्यकर्ता इस बात का खास ध्यान रख रहे हैं कि भाजपा या नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लेना है, पर उनका इशारा पूरी तरह भाजपा की ओर ही रहता है.
मतदाता जिसे चाहें वोट दें
संघ के प्रांत प्रमुख (प्रचार व जनसंपर्क) संजय आजाद ने कहा कि स्वयंसेवक मतदाता जागरूकता अभियान में काफी पहले से जुटे हुए हैं. चुनाव के दिन भी मतदाताओं को बूथ तक जाने के लिए प्रेरित करेंगे. संघ किसी पार्टी का नहीं, बल्कि मतदाताओं का समर्थन करता है. मतदाता जिसे चाहें वोट दें. संघ का मकसद सिर्फ इतना है कि मतदाता घर से जरूर निकलें. संघ सिर्फ यही अपील करता है कि राष्ट्रवादी सोच रखनी वाली पार्टी या प्रत्याशी को वोट दें.
तीन स्वयंसेवकों पर एक बूथ की जवाबदेही
झारखंड में दूसरे चरण में 17 अप्रैल को छह सीटों पर मतदान होगा. संघ ने इसके लिए खासतौर पर रणनीति बनायी है. भाजपा कार्यकर्ता बूथ मैनेजमेंट में लगे हुए हैं, लेकिन संघ अपने स्तर से मतदाताओं के मैनेजमेंट में लगा हुआ है. संघ ने तीन-तीन स्वयंसेवकों को एक-एक बूथ की जवाबदेही दे रखी है. एक बूथ में करीब 600 से 1000 तक मतदाता होते हैं. यानी एक स्वयंसेवक को 200 से 300 मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाना है. चुनाव के दिन स्वयंसेवक सुनिश्चित करेंगे कि मतदाता बूथों तक जायें. स्वयंसेवक उन्हें बूथ नंबर, पोलिंग स्टेशन से लेकर मतदाता परची उपलब्ध कराने में सहयोग कर रहे हैं.
रांची में छह हजार से अधिक स्वयंसेवक
रांची में संघ के छह हजार से अधिक स्वयंसेवक लगे हुए हैं. इनके हाथों में न तो किसी पार्टी का झंडा होता है और न ही बैनर. व्यक्तिगत संपर्क के जरिये ये मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं.
कैसे जायेंगे मतदाता
बताया जाता कि स्वयंसेवक अपने-अपने बूथ के सभी मतदाताओं से चुनाव के दिन संपर्क करेंगे. उनसे पूछा जायेगा कि उन्होंने वोट दिया है या नहीं. वोट नहीं देने की स्थिति में स्वयंसेवक वोट देने के लिए प्रेरित करेंगे. विकलांग, बुजुर्ग या बीमार मतदाता को मतदान स्थल तक पहुंचाने की जवाबदेही भी निभायेंगे.