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अभिभावकों का शोषण: री-एडमिशन के नाम पर वसूली

रांची: शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही निजी स्कूलों में प्रति वर्ष वार्षिक शुल्क, री-एडमिशन और मिसेलेनियस चार्ज के नाम पर भारी भरकम राशि वसूली जाती है. स्कूलों द्वारा लिये जाने वाले शुल्क में एकरूपता भी नहीं है. ये स्कूल मनमाने तरीके से शुल्क की वसूली करते हैं. वार्षिक शुल्क के रूप में लिया […]

रांची: शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही निजी स्कूलों में प्रति वर्ष वार्षिक शुल्क, री-एडमिशन और मिसेलेनियस चार्ज के नाम पर भारी भरकम राशि वसूली जाती है.

स्कूलों द्वारा लिये जाने वाले शुल्क में एकरूपता भी नहीं है. ये स्कूल मनमाने तरीके से शुल्क की वसूली करते हैं. वार्षिक शुल्क के रूप में लिया जानेवाला शुल्क किस मद में खर्च किया जाता है, इसकी जानकारी भी नहीं देते. राजधानी के निजी स्कूलों में एनुअल फीस व री-एडमिशन चार्ज के नाम पर प्रत्येक विद्यार्थी से 1500 से लेकर चार हजार रुपये तक लिये जाते हैं. राजधानी में लगभग एक सौ निजी स्कूल हैं.

एक स्कूल में औसत दो हजार बच्चे पढ़ाई करते हैं. इस तरह राजधानी के लगभग दो लाख विद्यार्थियों से औसत दो हजार रुपये की दर से भी ये शुल्क लिये जाते हैं तो प्रतिवर्ष अभिभावकों से 40 करोड़ रुपये तक की वसूली की जाती है.

लेते है मिसलेनियस चार्ज
राजधानी के अधिकतर स्कूल वार्षिक शुल्क के अलावा बच्चों से मिसेलेनियस चार्ज भी लेते हैं. इसके नाम पर 500 से एक हजार रुपये तक लिया जाता है. इसके अलावा वर्ष में बच्चों से ग्रुप फोटो के लिए भी अलग से पैसे लिये जाते हैं.

झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण ने लगा रखी है रोक
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण ने शैक्षणिक सत्र शुरू होने पर प्रति वर्ष बच्चों से वार्षिक शुल्क व री-एडमिशन शुल्क, मिसेलेनियस चार्ज लेने पर रोक लगा रखी है, लेकिन बच्चों से प्रति वर्ष इन मदों में करोड़ों रुपये की वसूली की जाती है. जेट के आदेश के बावजूद प्रशासन की ओर से इस पर रोक लगाने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

प्रति छात्र 25 से 40 हजार रुपये का भुगतान
प्रत्येक विद्यार्थी कक्षा एक से लेकर 12 वीं तक स्कूल को लगभग 25 से 40 हजार रुपये वार्षिक शुल्क के रूप में भुगतान करता है. स्कूल की ओर से कभी इस बात की जानकारी नहीं दी जाती कि यह राशि किस मद में खर्च की गयी. इस राशि का उपयोग विद्यार्थियों के हितों के लिए नहीं किया जाता.

यहां भी स्कूलों को होती कमाई

कई प्ले स्कूल एक्टिविटी चार्ज के नाम पर तीन से पांच हजार रुपये लेते हैं.

स्मार्ट क्लास के लिए भी प्रति वर्ष बच्चों से 1500 से दो हजार रुपये लेते हैं.

स्कूल मैगजीन व आइ कार्ड के लिए भी 100 से 150 रुपये लिये जाते हैं.

डायरी- बेल्ट, बैज व वार्षिकोत्सव के लिए भी अलग से पैसे लिये जाते हैं.

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