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सभी जिलों में सरकार करे मुफ्त शव ढोने की व्यवस्था : हाइकोर्ट

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. गढ़वा के अनुमंडलीय अस्पताल से गरीब व्यक्ति के शव को घर ले जाने के लिए वाहन नहीं मिलने के मामले में सुनवाई की गयी. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. गढ़वा के अनुमंडलीय अस्पताल से गरीब व्यक्ति के शव को घर ले जाने के लिए वाहन नहीं मिलने के मामले में सुनवाई की गयी. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को राज्य के सभी जिलों में नि:शुल्क शव ढोने की व्यवस्था करने का आदेश दिया.

इसके लिए सिस्टम तैयार किया जाये. सभी जिलों में शव वाहन की व्यवस्था की जाये, ताकि निधन के बाद गरीब परिजन शव को अपने घर ले जा सकें. खंडपीठ ने सरकार को विस्तृत निर्देश जारी करते हुए स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता अरविंद कुमार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि गढ़वा के अनुमंडलीय अस्पताल में गरीब व्यक्ति की माैत हो गयी थी.

उसकी धर्मपत्नी शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस या अन्य वाहन की व्यवस्था करने का आग्रह कर रही थी. वाहन की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. पत्नी अपने पति के शव को ले जाने में असमर्थ थी. वाहन की व्यवस्था नहीं होने पर कई घंटों के बाद लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. काफी हंगामे के बाद वाहन की व्यवस्था की गयी. अखबारों में छपी खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
मुख्य अभियंता के सभी रिक्त पदों को दो महीने में भरें
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने पथ निर्माण विभाग के वरीय पदों पर कनीय को प्रभार देकर कामचलाऊ व्यवस्था चलाने पर नाराजगी जतायी है. जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार को दो माह का समय देते हुए कहा कि इस दाैरान डीपीसी (विभागीय प्रोन्नति कमेटी) की बैठक कर मुख्य अभियंता के सभी रिक्त पदों को नियमित प्रोन्नति देकर भरा जाये. प्रोन्नति देने से संबंधित अधिसूचना की प्रति अदालत में प्रस्तुत की जाये. यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, तो अवमानना की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार सितंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता कृष्ण मुरारी ने अदालत को बताया कि पथ निर्माण विभाग में पिछले 17 साल में सिर्फ एक अभियंता को उच्च पद पर नियमित प्रोन्नति दी गयी है. विभाग के अभियंता प्रमुख के चार व मुख्य अभियंता के सभी 14 पद रिक्त पड़े हैं. नियमित प्रोन्नति देने के बदले एडहॉक व्यवस्था में उच्च पदों पर कार्य किया जा रहा है. पैसे व पैरवी के बल पर कनीय अभियंताअों को अभियंता प्रमुख व मुख्य अभियंता के पद का प्रभार दिया जाता है. उन्होंने प्रभारी मुख्य अभियंता जैसे जलांधर मंडल, विवेकानंद मिश्रा, सुरेंद्र कुमार, रास बिहारी सिंह, विजयकांत सिंह की नियुक्ति को यह कहते हुए निरस्त करने का आग्रह किया कि ये कनीय हैं आैर विभिन्न विभागों में कार्यकारी व्यवस्था के तहत इन्हें प्रभारी मुख्य अभियंता बना दिया गया है. नियमित प्रोन्नति नहीं देकर कार्यकारी व्यवस्था के तहत वर्षों से कार्य कराया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अधीक्षण अभियंता नरेंद्र सिंह ने अलग-अलग रिट याचिका दायर कर प्रभारी मुख्य अभियंताअों की नियुक्ति को निरस्त करने तथा नियमित प्रोन्नति देने की मांग की है.

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